दिल्ली में रेप घटे, लेकिन महिला अत्याचार के मामले दोगुने हो गए

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में दहेज उत्पीड़न के मामले पांच सालों में बढ़कर दोगुने हो गए हैं। यह हाल तब है जबकि 1961 में दहेज परंपरा को सरकार ने गैरकानूनी घोषित कर दिया था, लेकिन यह अभी भी सामाजिक वास्तविकता के रूप में जारी है। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, दहेज के उत्पीड़न के आरोपों की संख्या पांच साल में लगभग दोगुनी हो गई है। साल 2012 में 2,046 मामलों दर्ज किए गए थे, जो अब बढ़कर 3,877 हो गए हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत दहेज मांगना अपराध है। अन्य अपराधों जैसे हत्या, डकैती, बलात्कार या डकैती के मामलों में जहां कमी दर्ज की गई है या उनमें मामूली वृद्धि देखी गई है, दहेज उत्पीड़न के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं।

दहेज उत्पीड़न के कई मामलों की रिपोर्ट नहीं होती है, लेकिन उनकी संख्या भी कम नहीं है। साल के पहले छह महीनों में इस तरह के 1330 मामले दर्ज किए गए हैं। रिक्शा चलाने वाले की पत्नी से लेकर पढ़ी लिखी और नौकरीपेशा महिलाओं तक का दहेज के लिए शोषण किया जा रहा है।

गैस के सिलेंडर से लेकर ऑडी, सोने के गहने और एलईडी टीवी तक के लिए दहेज मांगा जा रहा है। बड़े पैमाने पर मिल रही शिकायतों में सामने आया है कि हनीमून के दौरान ही लड़कियों का अपर्याप्त दहेज को लेकर शोषण शुरू कर दिया गया। कुछ शिकायतों में महिलाओं ने कहा कि उन्होंने इसलिए उत्पीड़न को सहा क्योंकि उनके पतियों ने सेक्स वीडियो शूट कर लिया था।

वहीं, करीब 50 से अधिक महिलाओं ने अपनी शिकायत में कहा कि उनके पतियों ने उन्हें अप्राकृतिक सेक्स करने के लिए मजबूर किया। शिकायतों में सामने आया कि दहेज में जो सामान मांगे गए, उनमें सोने के आभूषण (543 मामलों में), रेफ्रिजरेटर (566 मामले), सोफा (217 मामले) और एलईडी टीवी (26) मामलों में मांगे गए थे।

नौ मामलों में एक करोड़ रुपए की नगदी मांगी गई। वहीं, 198 मामलों में बाइक की मांग की गई थी, जिसमें रॉयल एनफील्ड बुलेट की मांग सबसे अधिक थी। शिकायतकर्ताओं में से एक ने कहा कि उसके परिवार को दहेज में एक ऑटो रिक्शा देने के लिए मजबूर किया गया था, वहां एक मामले में लड़केवालों ने दो भैंस मांगी थी।

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