राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत का सारा समाज शर्मिंदा है, उसका एक हिस्सा जिन्हें संत की तरह पूजता है, उनके कारनामे संत तो क्या एक सामान्य आदमी से भी गये बीते हैं। इन कथित संतों में से कुछ जेल में हैं, कुछ जमानत पर है और कुछ तो कानून को कुछ समझते ही नहीं है। ताजा उदाहरण डेरा सच्चा सौदा समिति के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने बलात्कारी क्या ठहराया उनके उत्पाती चेले पंजाब और हरियाणा में कहर बरपाने लगे, 30 से ज्यादा मौते हो चुकी है, कई जगह कर्फ्यू लगा हुआ हुआ है, उत्पात पंजाब दिल्ली और उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में पैर पसार रहा है।
अनेक भारतीय ग्रन्थों में संत के लक्षण वर्णित है। सर्वाधिक प्रचलित परिभाषा गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस में हैं - “संत ह्रदय नवनीत समाना”। अफ़सोस जेल में, जेल से बाहर या अनेक गिरफ़्तारी वारंट को धता बताने वाले इन कथित रहनुमाओं के ह्रदय में नवनीत नहीं अपराध रूपी हलाहल भरा है। इनके नाम भी जग जाहिर हैं।
दो दिन पहले से पंचकूला में डेरा जमाए डेरा समर्थकों ने जैसे ही सुना कि अदालत ने उसके गुरू को बलात्कार का दोषी ठहराया है, वे उग्र हो गए। जगह-जगह तोड़फोड़ और आगजनी करने लगे। मीडिया वालों को भी नहीं बख्शा। तीन चैनलों के ओबी वैन तोड़े गए और फिर उनमें आग लगा दी गई। ऐसा नहीं है कि यह सब अप्रत्याशित ढंग से हुआ। इसकी आशंका पहले से ही थी लेकिन सिरसा, पंचकूला से लेकर चंडीगढ़ और दिल्ली तक बैठे शासकों के कान पर जूं नहीं रेंग रही थी। वो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, उन्हें राम रहीम सिंह के उन्मादी समर्थकों से हिंसा की जगह मौन शांति जुलूस की उम्मीद थी।
इस हिंसा की लपटे हरियाणा के साथ पंजाब दिल्ली और अब उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई है। राम रहीम सिंह को अदालत ने एक अपराध का दोषी ठहराया है, उसे निर्दोष मानने वाले उससे बड़े अपराध कर रहे है। ये दोषी हैं तो इस स्थिति के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, दोनों राज्यों के पुलिस महानिदेशकों के साथ केन्द्रीय गृह मंत्री भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। सारी सूचना और उच्च न्यायालय की चेतावनी के बाद ये महापुरुष नहीं चेते।
सवाल भारतीय समाज के संस्कारों का है। समाज के भोले लोग संत और शैतान के बीच का भेद समझ नहीं पाते। वोट की राजनीति इन कथित संतो को वोट बैंक मानती हैं। इन कथित संतों को महिमा मंडित करने में राजनीति का भी कम योगदान नही है। जेल में बंद आसाराम ने तो साफ़ कहा है राम रहीम और उन्हें फंसाने में एक कथित संत और एक राजनीतिक दल की जुगलबंदी है। यह बात भले ही गले उतरे या नहीं पर यह साबित हो गया है, कानून की नजर से आरोपी संतों के चेले बड़े उत्पाती है। इस सबका खमियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। जो शांति से, कानून मानते हुए, देश में श्रद्धा रख कर जीना चाहता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए