युद्ध हुआ तो चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को तबाही बरसेगी

नई दिल्ली। चीन ने डोकलाम को मुद्दा बनाकर दुनिया को तीसरे विश्व ​युद्ध मे मुहाने पर ला खड़ा किया है। यदि चीन ने हमला किया तो भारत के अलावा उसके मित्र देश भी इसमें भाग लेंगे। अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया, वियतनाम, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन समेत कई देश भारत के साथ आ सकते हैं जबकि चीन के साथ आने वाले देशों में केवल पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ही हैं। यदि ऐसा हुआ तो चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया में तबाही बरेगी। यह दुनिया का अब तक का सबसे भयंकर युद्ध होगा जिसमें अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग किया जाएगा। 

अमेरिका: भारत का सबसे ताकतवर दोस्त 
अमेरिका मौजूदा समय में भारत का सबसे ताकतवर दोस्त है। अमेरिका लगातार डोकलाम मामले पर नजर बनाए हुए हैं। US की ओर से बयान भी आ चुका है कि भारत हमारा अच्छा दोस्त है, चीन और भारत को इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाना चाहिए। इससे पहले पूर्व अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा और अमेरिका के इलिनोइ से सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने डोकलाम विवाद के लिए चीन को जिम्मेदार बता चुके हैं। आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप का रुख चीन को लेकर कड़ा रहा है, क्योंकि अमेरिका की नाक में दम करने वाले नॉर्थ कोरिया के लिए चीन हमेशा ही नरम रुख अपनाता रहा है।

जापान: खुले तौर पर भारत के साथ 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो अबे की दोस्ती का असर यहां पर भी दिखा है। जापान ने खुले तौर पर भारत का साथ दिया है। जापान के राजदूत केंजी हीरामत्सू ने आजतक से बातचीत में कहा, 'डोकलाम को लेकर पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है। हमारा मानना है कि इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता प्रभावित हो सकता है, ऐसे में हम इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।' इसके साथ ही उन्होंने कहा, चीन और भूटान के बीच इस क्षेत्र को लेकर विवाद है। जहां तक भारत की भूमिका की बात है, तो हम मानते हैं कि वह भूटान के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते के आधार पर ही इस मामले में दखल दे रहा है।

ऑस्ट्रेलिया: चीन को चेतावनी जारी कर चुका है 
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप हाल ही में भारत दौरे पर आईं थी। उन्होंने यहां पर साफ तौर पर कहा था कि चीन को डोकलाम विवाद पर संयम बरतना चाहिए, और भारत से बात करनी चाहिए। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन की दादागिरी को लेकर भी चेतावनी जारी कर चुका है। इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने चीन की सैन्य महत्वकांक्षाओं का विरोध किया था।

वियतनाम: चीन का दुश्मन, भारत का दोस्त 
पीएम मोदी ने 2016 में वियतनाम की यात्रा की थी, तभी से लेकर ही दोनों देशों के बीच में संबंधों में मजबूती आई है। दक्षिणी चीन सागर में विवाद को लेकर वियतनाम की चीन से हमेशा ही ठनी रही है, इसके अलावा भारत ने उसकी लगातार मदद की है। भारत वियतनाम को आकाश मिसाइल देने पर भी विचार कर रहा है, वहीं सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों भी प्रशिक्षण देगा।

यूरोपीय देश भी चीन के खिलाफ 
यूरोप के कुछ ताकतवर देश जैसे फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन भी चीन के मुद्दे पर भारत के साथ आ सकते हैं। भारत के इन सभी देशों से रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं, वहीं कई मुद्दों पर इन देशों ने भारत का साथ दिया है। सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इन सभी देशों ने भारत का स्थाई सीट के लिए साथ दिया है, वहीं चीन भारत के खिलाफ रहा है।

पाकिस्तान: चीन का पिछलग्गू 
पिछले कुछ समय से चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती पनप रही है। वन बेल्ट वन रोड के जरिए चीन पाकिस्तान में काफी बड़ी मात्रा में निवेश कर रहा है। चीन ने कई आतंकवादियों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित होने से बचाने के लिए अपने वीटो का सहारा लिया है। इस सबसे साफ है कि पाकिस्तान हर मोर्चे पर चीन के साथ ही जाएगा। भारत और पाकिस्तान के रिश्ते वैसे भी अच्छे नहीं रहे हैं, हाल ही में चीन ने कश्मीर के मसले में भी दखल देने की धमकी दी थी।

नॉर्थ कोरिया: चीन की दम पर अमेरिका को डराता है 
पिछले काफी समय से पूरी दुनिया की नाक में दम करने वाला नॉर्थ कोरिया चीन का करीबी है। एक ओर अमेरिका जब लगातार नॉर्थ कोरिया को चेतावनी दे रहा है, तब चीन ने इस मुद्दे पर अमेरिका को शांति बरतने को कहा था। चीन ने लगातार नॉर्थ कोरिया को लेकर नरम रुख अपनाया है।

भारत का पुराना दोस्त रूस फिलहाल तटस्थ है 
भारत का करीबी दोस्त माना जाने वाला रूस इस युद्ध में किस करवट बैठेगा, ये अभी साफ नहीं है। डोकलाम के विवाद पर अभी रूस की ओर से कोई बड़ा बयान नहीं आया है। हालांकि अगर इतिहास पर नजर डालें तो रूस ने हमेशा ही भारत का साथ दिया है लेकिन रूस की इतने बड़े मुद्दे पर चुप्पी भारत के लिए संशय बढ़ाती है।

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