भोपाल। प्रदेश में सातवें वेतनमान को लेकर कैबिनेट के निर्णय के बाद वित्त विभाग ने 22 जुलाई को सातवां वेतनमान देने के आदेश जारी किए थे। सातवां वेतनमान 1 जनवरी 2016 से लागू करने का फैसला लिया गया था। यह अगस्त में मिलने वाली जुलाई की सैलरी में दिए जाने की तैयारी थी लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं होने के चलते यह अटका है। नया वेतनमान चुनने और विकल्प भरने की प्रक्रिया अभी तक नहीं की गई है। जिसके कारण राज्य के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सितंबर में भी सातवें वेतनमान के मुताबिक बढ़ी सैलरी नहीं मिलेगी।
यह प्रक्रिया अभी जारी है। वहीं पौने पांच लाख से ज्यादा नियमित अधिकारियों-कर्मचारियों में से आधे से ज्यादातर ने विकल्प भरकर दिए हैं लेकिन शायद ही सभी को अगस्त के वेतन में सातवां वेतनमान जुड़कर मिलेगा। उक्त साफ्टवेयर मे शासकीय सेवक का नियुक्ति दिनाँक से वेतन और वेतनमान,अर्जित अवकाश एंव अन्य जानकारी दर्ज करना है किन्तु विभागीय अधिकारी-कर्मचारीयों को पूरा प्रशीक्षण नही दिया गया है। जिस कारण ifmis साफ्टवेअर पूर्ण जानकारी नहीं डाल पा रहे है जबतक शासकीय सेवक की पूर्ण जानकारी साफ्टवेयर मे नहीं डाली जाऐगी सातवें वेतनमान मे वेतन नही होगा।
एक कर्मचारी की उक्त साफ्टवेयर मे जानकारी भरने मे 10-15 मिनट का समय लग रहा है अगर इस रफ्तार से काम चलेगा तो कर्मचारियों को सातवां वेतनमान जनवरी 2018 मे मिलेगा। इससे कर्मचारियों मे रोष वयाप्त है। म.प्र कर्मचारी कांग्रेस के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र खोंगल, शोऐब सिद्धिकी ने मुख्य सचिव म प्र शासन, और समस्त प्रमुख सचिवों को पत्र लिख कर मांग की है कि जल्द से जल्द सातवें वेतनमान का भुगतान कराया जाऐ।