ग्वालियर में तड़प तड़पकर मर गईं 453 गायें

ग्वालियर। देशभर में इन दिनों गोरक्षा का आंदोलन चल रहा है। गाय की रक्षा के लिए इंसानों की हत्याएं की जा रहीं हैं और इधर देखभाल के अभाव में एक माह के भीतर 453 गायों की मौत हो गई। इससे पहले 2016 में 1092 गायों की मौत हो चुकी है। मप्र में भाजपा की सरकार है बावजूद इसके गायों को ना तो पूरा भोजन मिल पा रहा है और ना ही इलाज। वो तड़प तड़पकर मर रहीं हैं। उधर शिवराज सिंह सरकार भोपाल में प्रदेश के सबसे बड़े कत्लखाने को खोलने की तैयारी कर रही है। 

घटना लालटिपारा गौशाला में हुई है। इसका संचालन नगर निगम ग्वालियर करता है। गौशाला में हाल के 30 दिन में लगभग 453 गायों की मौत हो चुकी है। वजह मात्र डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से होने वाली सीसी और टीनशेड का निर्माण कार्य न होना है। इस गौशाला की क्षमता 2500 है लेकिन निगम ने यहां 6000 गौवंश भर रखा है। 

बीते साल तीन महीने के अंदर 1092 गायों की मौत हुई थी। करीब छह महीने पहले तत्कालीन कमिश्नर अनय द्विवेदी ने मशक्कत कर इस गौशाला को संतों के हवाले किया गया था। संतों की सेवा के बाद धीरे-धीरे गौशाला के हालात बदले और गायों की स्थिति बेहतर होने लगी थी। दूध का उत्पादन भी बढ़ा था, लेकिन कमिश्नर द्विवेदी का तबादला हुआ तो इस गौशाला की बदहाली शुरु हो गई।

यही वजह है कि ये गौशाला फिर से अपने बदहाल दौर में लौट रही है, जिसके चलते अब गौशाला में गायों के मरने की तादाद बढ़ने लगी है। नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर ने बारिश के मौसम में देखते हुए 1.5 करोड़ रुपए की लागत से गौशाला के अंदर सीसी और टीनशेड़ निर्माण के कार्य स्वीकृत किए थे। इनका सभी कार्यो का टेण्डर हो चुका है। साथ ही इनके वर्कआर्डर भी जारी हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी यह कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सके हैं, जिसके चलते बीते एक महीने के अंदर करीब 500 गायों ने दम तोड़ दिया है।

गौशाला की देखरेख करने वाले संतों का कहना है कि गायों की बेहतर देखरेख के चलते गौशाला की स्थिति बेहतर हुई थी, लेकिन अब कमिश्नर बदलने के बाद निगम के कई अधिकारी गौशाला की व्यवस्था को लेकर लापरवाह है। संतों का कहना है कि निगम अफसरों की वजह से गौशाला में अव्यवस्था हो रही है जिसके चलते गायों के मरने की दर बढ़ रही है।

संतों का कहना है कि गौशाला में तीन हजार गायों की क्षमता है लेकिन नगरनिगम ने आवारा सांडों को पकड़कर इस गौशाला में भेज दिए है, जिसके चलते गौशाला में गाय और सांडों की संख्या 6000 के करीब पहुंच गई है। संतों का कहना है कि यही हाल रहे तो गौशाला और भी बदहाल होगी।

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