मप्र प्याज घोटाला: 45 रुपए किलो हो गई प्याज, सरकार अब भी चुप

भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने अफीम नीति के बदलाव और बैंकों में तत्काल नगद भुगतान व उत्तरप्रदेश की तरह कर्जमाफी के लिए शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान बिना मांग के प्याज की सरकारी खरीद कर डाली। 8 रुपए किलो खरीदी गई इस प्याज में खरीदी, बिक्री और सड़न तीनों स्तरों पर घोटाले हुए। अब स्थिति यह है कि 2 माह पहले 1 रुपए किलो बिकने वाली प्याज बाजार में 45 रुपए किलो बिक रही है। जमाखारों ने प्याज को गोदामों में कैद कर दिया है और सरकार अब कोई कदम नहीं उठा रही है। सवाल यह है कि किसानों को राहत देने के लिए यदि सरकार ने 8 रुपए किलो प्याज खरीदी थी तो आम जनता को राहत देने के लिए वो गोदामों पर छापामार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही। जब सरकार ने दूसरे राज्यों के व्यापारियों को 2 रुपए किलो प्याज बेच दी तो क्यों वो आम जनता के हित के लिए उन व्यापारियों से अपनी प्याज वापस नहीं ला रही। 

भोपाल में बैरागढ़ के नजदीक करतार वेयरहाउस में रखी 50 हजार क्विंटल प्याज का सड़ जाना सरकारी दस्तावेजों में दर्ज किया गया है। बताया गया है कि सीहोर की गगन ट्रेडिंग कंपनी ने इसे नीलामी में 1.19 रुपए किलो की दर से खरीदा था। वेयरहाउस में ये प्याज रखे-रखे सड़ गई। कंपनी ने अब इसे लेने से मना कर दिया है और नीलामी में जमा की गई 40 लाख रुपए की रकम भी वापस मांगी है। सवाल यह है कि जब नीलामी हो गई थी तो कंपनी को प्याज की डिलिवरी क्यों नहीं दी गई। क्या यहां भी कमीशन का इंतजार था। 

करोंद मंडी सब्जी व्यापारी संघ के अध्यक्ष अब्दुल रफीक के अनुसार भोपाल में रोजाना 2400 क्विंटल प्याज की खपत होती है। लोकल बाजार में रोजाना इतनी प्याज थोक और फुटकर कारोबारी बेचते हैं। उल्लेखनीय है करतार वेयर हाउस में रखी गई 1 लाख क्विंटल प्याज में से आधी खराब नहीं होती तो यह शहर के लोगों की 21 दिन की जरूरत पूरी करती। इसके दाम भी नहीं बढ़ते।

नागरिक आपूर्ति निगम की दलील 
जेके सारस्वत, डिस्ट्रिक मैनेजर नागरिक आपूर्ति निगम सीहाेर कहते हैं कि करतार वेयर हाउस में प्याज वेयर हाउस कार्पोरेशन ने रखवाई थी। आपूर्ति निगम ने नहीं। आपूर्ति निगम को केवल खरीदी गई प्याज को गोदाम में सुरक्षित रखवाने और बेचने तक की जिम्मेदारी दी गई थी। गोदाम में प्याज किस स्थिति में खराब हुई? इसके लिए आपूर्ति निगम जिम्मेदार नहीं है।

सरकार ने कोई गाइडलाइन ही नहीं दी: वेयर हाउस कार्पोरेशन
संतोष खलको, डिस्ट्रिक मैनेजर वेयर हाउस कार्पोरेशन के सीहोर कहते हैं कि प्याज मंत्रालय में बैठे अफसरों के अादेश पर रखवाई गई थी। इसके रखरखाव को लेकर सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं दी गई थी। प्याज मंडियों से गोदामों तक सुरक्षित पहुंचाने का जिम्मा वेयर हाउस कार्पोरेशन का था। इसके रखरखाव और बेचने का काम नागरिक आपूर्ति निगम को करना था।

बर्बाद हो गए जनता के 580 करोड़ रुपए
गुड गवर्नेंस की बात करने वाली प्रदेश सरकार ने 694 करोड़ रु खर्च कर एक लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीदी की। किसानों से 8 रुपए किलो में प्याज खरीदी और व्यापारियों को 2 रु. किलो में नीलाम कर दी। सरकार के पास 694 में से 114 करोड़ रु. वापस आए। टैक्स के रूप में मिले जनता के 580 करोड़ रु. प्याज के साथ ही बर्बाद हो गए। सरकारी खरीदी का फायदा न किसानों को मिला, न उपभोक्ताओं को। अफसरों की मिलीभगत से बिचौलियों ने फायदा उठाया। नतीजा प्याज के दाम 8 से 45 रु. किलो हो गए।

जिन गोदामों को सब्सिडी दी थी, उनमें प्याज नहीं रखवाई
सरकार ने 8 लाख टन से अधिक प्याज खरीदने के बाद भी निजी गोदामों का इस्तेमाल नहीं किया। जबकि पिछले 10 साल में गोदाम बनाने के लिए सरकार किसानों को 78 करोड़ रुपए सब्सिडी दे चुकी है। जबकि इन गोदामों का इस्तेमाल होता तो राज्य में 2 लाख टन से अधिक प्याज का स्टॉक किया जा सकता है।

प्याज का उत्पादन 1.25 लाख टन मंडी में खरीदी 4.34 लाख टन
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 36.70 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ। इसमें से सरकार ने 8.72 लाख टन प्याज किसानों से खरीदी है। चौकाने वाली बात यह है कि केवल विदिशा, सीहोर और खरगोन में 4.34 लाख टन प्याज की खरीदी की गई। जबकि इन तीनों जिलों में प्याज की पैदावार 1.25 लाख टन हुआ है। यानी उत्पादन से तीन गुना अधिक सरकारी खरीदी हुई।

कहां कितनी प्याज का सड़ना दर्ज​ किया गया
सीहोर 150000 क्विंटल
बालाघाट 100000 क्विंटल
भोपाल 96000 क्विंटल

मंत्री ने दिया विपक्षी नेता जैसा जवाब
ओमप्रकाश धुर्वे, खाद्य मंत्री ने इस मामले में विपक्षी दल के नेता जैसा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 8 रुपए किलो प्याज खरीद कर किसानों को फायदा पहुंचाया है। प्याज के दाम 30-45 रुपए होने के पीछे बिचौलिए है। 

अभी तो और बढ़ेंगे प्याज के दाम
नसीम भाई, कराेंद मंडी सब्जी व्यापारी संघ के सचिव कहते हैं कि शनिवार को प्याज के दाम थोक में 25-27 रू. और खुदरा में 30-32 रु. किलो रहे। प्रदेश की प्याज दूसरे राज्यों में भेजने और काफी मात्रा में सड़ने की वजह से अगले कुछ महीनों तक दाम और बढ़ सकते हैं। 

क्या करना चाहिए मंत्री को
मंत्री को चाहिए कि वो गोदामों में छापामार कार्रवाई करवाए और वहां बंद प्याज को बाजार में लाए। बाजार में प्याज के लिए हाहाकार मचना शुरू हो गया है। ऐसे हालात में मंत्री किसी कलेक्टर से बात करने का इंतजार नहीं कर सकता। वैसे भी मंत्री किसी कलेक्टर के अधीन नहीं होता परंतु ओमप्रकाश धुर्वे, खाद्य मंत्री कलेक्टर से बात करके हल निकालने का बेतुका बयान दे रहे हैं। 

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