नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अब यह बयानों से निकलकर विवादित इलाकें में दिखाई देने लगा है। चीन ने डोकलाम में अपनी सैन्य संख्या बढ़ा दी। बदले में भारत ने भी उसकी सेना को 3 तरफ से घेर लिया। इतना ही नहीं इन तीनों दिशाओं में भारतीय सेना चीनी सेना के मुकाबले ऊंचाई पर है। इन सामरिक और सैन्य बढ़त ने डोकलाम में चीन को बुरी तरह उलझा दिया है। यही वजह है कि चीन भले बार-बार युद्ध की धमकी दे रहा हो लेकिन उसके लिए किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई की राह आसान नहीं है। सरकार के सामरिक रणनीतिकारों के मुताबिक सिर्फ डोकलाम में ही नहीं पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन को किसी कार्रवाई के लिए बड़ी तैयारी करनी होगी।
पूरे प्रकरण से जुड़े सेना के वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि भारत लगातार बातचीत के जरिये रास्ता निकालने की पेशकश कर रहा है। हालांकि पूरी सीमा पर सेना की रक्षात्मक तैनाती की वजह से भारत को सामरिक बढ़त हासिल है।
अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाके को छोड़कर पूरी एलएसी पर फिलहाल भारतीय सेना की सामरिक और सैन्य स्थिति मजबूत है। चीन इस बात से भी परेशान है कि बड़े संसाधन वाला देश होने के बावजूद दोकलम मामले पर चीन को वैश्विक स्तर पर ज्यादा साथ नहीं मिल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बाद जापान ने भारत के पक्ष में खड़े होकर चीन को गंभीर चिंता में डाल दिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के मुताबिक दुनिया के ज्यादातर देश इस मामले में भारत के साथ हैं।
इस तरह भारत की सेना चीन से शक्तिशाली
रणनीतिकारों के मुताबिक अगर चीन आक्रमण करने का फैसला करता है तो उसे हर एक भारतीय सैनिक के लिए अपने कम से कम नौ सैनिक लगाने होंगे। पारंपरिक युद्ध नियमों की मानें तो हमलावर सेना को दुश्मन के मुकाबले नौ से बारह गुणा अधिक संसाधन का इस्तेमाल करना पड़ता है।
चीन के पास संसाधन की कमी तो नहीं है। लेकिन इसकी तैयारी में उसे लंबा वक्त लगेगा। जब तक चीन 100 फीसदी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं होगा आक्रमण नहीं करेगा। चीन को सिर्फ पाक और उत्तर कोरिया का साथ डोकलाम मामले में पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया के अलावा कोई भी देश चीन के साथ खड़ा नहीं दिख रहा है।
यही वजह है कि चीन तरह-तरह की धमकियां दे कर अपना हाथ ऊपर रखने की कोशिश में है। लेकिन सच्चाई यह है कि वह डोकलाम मामले में फिलहाल वह बुरी तरह उलझ गया है।