मप्र प्याज घोटाला: भोपाल में 27 हजार टन की गड़बड़ी

भोपाल। कर्जमाफी की मांग एवं फसल का भुगतान नहीं कर रहे बैंकों के खिलाफ पिछले दिनों मप्र में किसान आंदोलन हुआ। अफीम तस्करों ने मप्र की अफीम नीति बदलवाने के लिए किसान आंदोलन को उग्र स्वरूप दे दिया। अधिकारियों ने योजनाबद्ध तरीके से मामले को कुछ और ही पेश किया और सीएम शिवराज सिंह ने प्याज का समर्थन मूल्य 8 रुपए प्रतिकिलो घोषित कर दिया। इसके बाद शुरू हुआ घोटाला। उम्मीद थी कि पिछली बार की तरह इस बार भी सब आसानी से हो जाएगा परंतु इस बार मामला सुर्खियों में आ गया। आरटीआई के डर से अफसरों ने रिकॉर्ड में तमाम लीपापोती करवाई बावजूद इसके घोटाले सामने आ रहे हैं। राजधानी भोपाल में मार्कफेड और नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के रिकॉर्ड मेल नहीं खा पा रहे हैं। 27 हजार टन प्याज का हिसाब नहीं मिल रहा है। 

आयकर विभाग या दूसरी जांच ऐजेंसियां जिस पैटर्न पर कालेधन या बेनामी संपत्ति का आंकलन करतीं हैं उस हिसाब से केल्कुलेशन लगाया जाए तो यह 40 करोड़ का घोटाला है। दरअसल प्रदेशभर से मार्कफेड ने 8 लाख 76 हजार टन प्याज खरीदी थी। इसमें से मार्कफेड ने नान को सिर्फ 8 लाख 49 हजार टन प्याज सौंपी है। नान ने जब रिकॉर्ड खंगाला, तो प्याज खरीदी और उसकी मात्रा में अंतर निकला।

फैक्ट फिगर
8 लाख 76 हजार टन प्याज मार्कफेड ने खरीदी
8 लाख 49 हजार टन प्याज नागरिक आपूर्ति निगम को सौंपी
27 हजार टन प्याज का हिसाब ही नहीं 

प्राधिकृत बयान 
मार्कफेड ने प्याज खरीदने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम को सौंप दी थी। हम प्रदेश में खरीदी का रिकॉर्ड जांच रहे हैं। खरीदी, नीलामी और बिक्री के रिकॉर्ड में मिलान होगा। अभी तक कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है। - ज्ञानेश्वर पाटिल, एमडी, मार्कफेड

प्याज खरीदी और मिलने का रिकॉर्ड मंडी स्तर तक चेक हो रहा है। कितनी प्याज खरीदी गई, कितनी बिकी और कितनी पीडीएस में गई, ये सब दोबारा मिलान कर रहे हैं। अगर त्रुटि हुई है, तो सुधार किया जाएगा। अनियमितता मिली तो कार्रवाई करेंगे। 
डॉ. हितेष वाजपेयी, चैयरमेन, नागरिक आपूर्ति निगम

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !