खड़े-खड़े 15 लाख का डीजल पी गई AD. कमिश्नर की कार: घोटाला

भोपाल। नगरनिगम भोपाल में इन दिनों घोटालों के नए नए खुलासे हो रहे हैं। ताजा मामला परिवहन शाखा के प्रमुख अपर आयुक्त एमपी सिंह की कार का है। कमिश्नर की कार 3 माह में करीब 6300 किलोमीटर या इससे कम चली लेकिन इस कार के नाम पर 25000 लीटर डीजल दर्ज किया गया। यदि 15 का एवरेज माना जाए तो कार को 6300 किलोमीटर सफर करने के लिए मात्र 420 लीटर डीजल लगना था। इस तरह 24580 लीटर डीजल का घोटाला हो गया। इसका बाजार मूल्य करीब 15 लाख रुपए है। निश्चित रूप से यह रकम कमिश्नर के 3 माह के वेतन से काफी ज्यादा है। अब पता किया जा रहा है कि यह घोटाला किसने किया। 

सामाजिक कार्यकर्ता अजय पाटीदार ने सूचना के अधिकार के तहत कुछ चौंकाने वाली जानकारियां निगम से हासिल की हैं। निगम अफसरों में सबसे ज्यादा 1675 लीटर डीजल मई से जुलाई तक अपर आयुक्त सिंह की ही कार को दिया गया। इस इतने डीजल से कार करीब 25 हजार किलोमीटर चल सकती है। इतना ही नहीं, डीजल पंप शाखा के रिकार्ड में तत्कालीन सिटी इंजीनियर एके नंदा की कार के लिए मई से जुलाई तक 873 लीटर डीजल देना बताया गया है। जबकि नंदा ने निगम से रवानगी के साथ ही आवंटित कार वर्कशॉप में जमा करा दी थी। पाटीदार ने घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। 

नहीं लिया जून में 732 लीटर डीजल: सिंह 
अपर आयुक्त सिंह का कहना है कि डीजल टैंक शाखा के अफसरों और कर्मचारियों ने डीजल देने के रिकार्ड में कोई गड़बड़ी की है। जून 2017 में मैंने अपनी सरकारी गाड़ी के लिए केवल 395 लीटर डीजल लिया है। सरकारी गाड़ी औसतन रोजाना अधिकतम 70 किलोमीटर ही चलती है। पिछले तीन महीने में एक भी दिन इससे ज्यादा मेरी गाड़ी नहीं चली। डीजल पंप शाखा से दिए गए डीजल के रिकाॅर्ड की जांच की जाएगी। 

वर्कशॉप और डीजल पंप सेक्शन में गड़बड़ी की शिकायतें मिली 
निगम के डीजल टैंक से स्टॉफ डीजल डलवाकर लाता है। महापौर को हर महीने केवल 240 लीटर डीजल मिलता है। निगम की वर्कशॉप और डीजल पंप सेक्शन में गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं। निगम कमिश्नर इस मामले की अलग से जांच कर रही हैं। 
आलोक शर्मा, महापौर 

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