श्रावण के 5 सोमवार इस तरह करें पूजा पाठ, असंभव मनोरथ भी संभव हो जाएगा

2017 में श्रावण मास बहुत विशेष है। किसी भी मनुष्य की 120 वर्ष की आयु में ऐसा माह बहुत कम आता है। पूरे 50 साल बाद ऐसा अवसर आया है। इस वर्ष श्रावण मास का शुभारंभ वैधृति योग के साथ हो रहा है और आयुष्मान योग के साथ इस मास की समाप्ति। यह तो सभी जानते हैं कि श्रावण मास भगवान शिव को सबसे प्रिय होता है। इस मास में यदि आप किसी भी शिवलिंग पर प्रतिदिन मात्र 3 बेलपत्र भी अर्पित करते हैं तो आप विशेष कृपा के भागीदार हो जाते हैं। प्रख्यात ज्योतिर्विद पं. राधेश्याम अवस्थी बताते हैं कि यदि आप विधि विधान के साथ इस माह के 5 सोमवार की पूजा करेंगे तो आपका हर कठिन और असंभव मनोरथ भी पूरा हो जाएगा। हम आपको बता रहे हैं किस सोमवार को क्या करना है। याद रखने के लिए कृपया इस पेज को बुकमार्क कर लें। या फिर इसकी लिंक अपने परिवार के वाट्सएप ग्रुप पर डाल लें। कृपया इस जानकारी को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि सभी का कल्याण हो। याद रखें, जो मानवमात्र के कल्याण की भावना के साथ अपने इष्ट की आराधना करता है, उसे ही अभिष्ट फल प्राप्त होते हैं। जो व्यक्ति कल्याणकारी पूजा पद्धतियों को अपने लिए छुपाकर रख लेता है, उसका व्रत और विधान अपने आप खंडित हो जाता है। 

1. पहली सोमवारी 10 जुलाई को महामायाधारी की पूजा
सावन की पहली सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। पूजा क्रिया के बाद शिव भक्तों को ‘ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम: का मंत्र 11 माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।

2. द्वितीय सोमवारी 17 जुलाई को करें महाकालेश्वर की पूजा
दूसरी सोमवार को महाकालेश्वर शिव की विशेष पूजा करने का विधान है। श्रद्धालु को ‘ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 मामला जाप करना चाहिए। महाकालेश्वर की पूजा से सुखी गृहस्थ जीवन, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व तांत्रिक दोष से मुक्ति मिलती है।

3. तृतीय सोमवार 24 जुलाई को अर्द्धनारीश्वर की पूजा
सावन की तृतीय सोमवार को अर्द्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इन्हें खुश करने के लिए ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम: मंत्र का 11 माला जाप करना श्रेष्ठ माना गया है। इनकी विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

4. चौथी सोमवारी 31 जुलाई को तंत्रेश्वर शिव की आराधना
चौथी सोमवारी को तंत्रेश्वर शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कुश के आसन पर बैठकर ‘ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट् मंत्र का जाप 11 माला शिवभक्तों को करनी चाहिए। तंत्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

5. पांचवीं सोमवार 7 अगस्त को शिव स्वरूप भोले की पूजा:
पांचवीं सोमवार को श्री त्रयम्बकेश्वर की पूजा की जाती है। वैसे साधन को जो सावन में किसी कारण कोई सोमवारी नहीं कर पाते हैं उन्हें पांचवी सोमवारी करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसमें रुद्राभिषेक, लघु रुद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए। पूजन विधि :- गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से बाबा भोले का अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। उसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं। पूजा करने के बाद आरती कर क्षमार्चन करें।

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