RSS ने सभी रामायणों को भ्रामक बताया, अब नई रामायण लिखेंगे संघ के इतिहासकार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अब तक लिखीं गईं सभी रामायणों को भ्रामक बताते हुए नए सिरे से रामायण लिखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आरएसएस का मानना है कि हिंदू विरोधियों ने रामायण से छेड़छाड़ की है। उसमें भगवान श्रीराम को बदनाम करने वाले प्रसंग जोड़ दिए हैं। हालांकि आरएसएस ने यह नहीं बताया कि हिंदू विरोधियों ने यह छेड़छाड़ कब और कहां की। इतिहास में कहां ऐसी घटनाओं का जिक्र है। बता दें कि देश भर में 3000 से ज्यादा रामायण लिखीं गईं हैं परंतु गोस्वामी श्रीतुलसीदास कृत श्री रामचरितमानस रामायण को सबसे प्रामाणिक माना जाता है। 

आरएसएस की मानें, तो रामायण को लेकर कई भ्रांतियां हैं और आरएसएस इन्हें दूर करेगा। अभी तक लोग यही जानते हैं कि भगवान राम ने माता सीता को वन भेज दिया था। साथ ही लंका से आने पर माता सीता को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा था, लेकिन संघ की मानें, तो माता सीता जिस अग्निपरीक्षा से गुजरी थीं, कभी राम भी इससे गुजर चुके थे और यह एक कठिन परीक्षा थी।

संघ की मानें, तो यह सरासर गलत है कि राम ने सीता को वन भेज दिया था। आरएसएस के मुताबिक ऐसी भ्रांतियां हिन्दू धर्म से द्वेष रखने वाले लोगों ने फैलाई है। संकलन योजना के संगठन सचिव बालमुकुंद पांडेय कहते हैं कि दुनिया भर में करीब तीन हजार तरह की रामायण हैं। लोग अपने मन से रामायण लिख रहे हैं। कई लोग राम के इतिहास को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भारत के लिए राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और विश्व के लिए एक आदर्श। इन्हीं सब भ्रांतियों को दूर कर सही रामायण को प्रकाशित किया जाएगा।

संघ के मुताबिक अब वक्त है कि इसे सही किया जाए। इसके लिए 12-13 अगस्त को गोरखपुर में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह सम्मेलन संघ के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना आयोजित कर रहा है। इसमे भारतीय पुराण अध्ययन संस्थान सहयोगी भूमिका निभा रहा है।

इस राष्ट्रीय सम्मेलन की योजना रामायण में मौजूद भ्रांतियों से पर्दा हटाकर वास्तविकता को लोगों के सामने रखने की है। राष्ट्रीय सम्मेलन में रामायण के सांस्कृतिक, धार्मिक, दार्शनिक, सामाजिक, भौगोलिक, आर्थिक, राजनैतिक और भाषिक समेत तमाम विषयों पर चर्चा होगी। संकलन योजना के संगठन सचिव बालमुकुंद पांडेय कहते हैं कि राम ने कभी सीता को वन में नहीं भेजा। राम एक अच्छे पुत्र, राजकुमार, के साथ अच्छे शिष्य और अच्छे पति भी थे। 

पांडेय कहते हैं कि हिन्दू परम्परा से द्वेष रखने वालों ने बाद में ऐसे तथ्यों को राम कथा में जोड़ दिया, जिससे राम के प्रति लोगों में भ्रांतियां पैदा हुई। इन्हीं भ्रांतियों को दूर करने के लिए इतिहास संकलन योजना का 12 अगस्त को गोरखपुर में सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। इसमें राम की ऐतिहासिकता और राम के विश्व संचार पर चर्चा होगी। सेमिनार में देश भर के विद्वान शामिल होकर साक्ष्यों के आधार पर राम को स्थापित करेंगे। साथ ही राम कथा में आई भ्रांतियों को दूर करेंगे।

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