PHD करनी है तो बिस्तर सजाओ: महिला अधिकारी से सीनियर ने कहा

जबलपुर। जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि में कार्यरत एक महिला अधिकारी ने अपने सीनियर अधिकारी पर यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि अधिकारी शुरू से ही उस पर बुरी नजर रखते थे और अपनी मांग पूरी करवाने के लिए उसे तंग करते थे। वो पीएचडी करना चाहती थी। सीनियर ने खुलकर कहा कि यदि वो पीएचडी करना चाहती है तो उसे हमबिस्तर होना होगा। हाईकोर्ट में दायर एक मामले में कृषि विवि की एक महिला अधिकारी ने अपने सीनियर अधिकारी पर आरोप लगाया है। इससे पहले पीड़िता ने विभागीय शिकायतें की थीं परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। जस्टिस वंदना कसरेकर की एकलपीठ ने मामले को काफी संजीदगी से लिया। अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर जांच कमेटी चार माह के भीतर उचित कार्रवाई करे।

फिगर को लेकर अश्लील टिप्पणी करते थे 
पीड़ित महिला की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया था कि जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि (जनेकृविवि) में उनकी नियुक्ति वर्ष 2007 में हुई थी। वे एआईसीआरपी प्रोजेक्ट में डॉ. विजय बहादुर उपाध्याय के अधीन काम कर रही थीं। ज्वाइनिंग के समय याचिकाकर्ता का पुत्र महज तीन माह का था, इसलिए उसने अवकाश ले लिया। इस पर डॉ. उपाध्याय हमेशा एतराज जताते थे। याचिका में आरोप था कि डॉ. उपाध्याय हमेशा उसके शरीर को लेकर आपत्तिजनक कटाक्ष करते हैं। पीड़िता का आरोप है कि वो पीएचडी करना चाहती थी। इसके लिए याचिकाकर्ता ने डॉ. उपाध्याय से कहा तो वे उसे संबंध बनाने के लिए मजबूर करने लगे। हर रोज मिलने वाली प्रताड़ना से तंग आकर याचिकाकर्ता अपने उच्च अधिकारियों से शिकायतें करने लगीं।

याचिकाकर्ता अवकाश पर चली गईं
इस बीच कोई कार्रवाई न होने पर याचिकाकर्ता अवकाश पर चली गईं। इसके बाद जब याचिकाकर्ता ने वापस ज्वाइन किया तो डॉ. उपाध्याय द्वारा की गई प्रताड़ना की पूरी जानकारी एचओडी को दी। साथ ही यह भी कहा कि या तो उसे या फिर डॉ. उपाध्याय को ट्रांसफर कर दिया जाए। इस बारे में 20 जुलाई 2011 को लिखित शिकायत देने के बाद याचिकाकर्ता को विभागीय जांच में बुलाया गया। इसी दौरान डॉ. उपाध्याय का विदिशा जिले के गंजबासौदा में ट्रांसफर कर दिया गया। आवेदक का कहना है कि 13 सितंबर 2012 को उन्हें मप्र सरकार का एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें जनेकृविवि के कुलपति को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के तहत जांच कमेटी गठित करने कहा गया। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर यह याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मंजीत चक्कल, विवि के कुलपति की ओर से अधिवक्ता आशीष गिरी और डॉ. उपाध्याय की ओर से अधिवक्ता मनीष कुमार तिवारी हाजिर हुए।

जांच समिति के सामने हाजिर हुई
विवि के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने 1 जनवरी 2013 को जांच समिति के सामने याचिकाकर्ता को हाजिर होने कहा। आवेदक का कहना है कि 7 जनवरी 2013 को वह जांच समिति के सामने हाजिर हुई और उसने अपनी विस्तृत शिकायत रखी। इसके बाद 8 माह गुजर गए, लेकिन जांच समिति द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिस पर यह याचिका वर्ष 2013 में ही दायर की गई थी। मामले पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका में लगे आरोपों को संजीदगी से लेते हुए विवि प्रशासन को कहा कि वे जांच समिति गठित करके उन पर विधि अनुसार कार्रवाई कराएं।

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