डायवर्सन की फाइल अटकाई तो NOC मान ली जाएगी

भोपाल। शासकीय कार्यालयों में क्लर्क समाज फाइलें अटकाकर पैसा कमाने का खेल लंबे समय से खेलता आ रहा है। डायवर्सन के मामलों में तो नगरनिगम के बाबू कमिश्नर का हथियार होते हैं। फाइलों को वर्षों तक लटकाया जाता है। जब तक मनमानी रिश्वत ना मिल जाए डायवर्सन नहीं किया जाता लेकिन अब यह खुलाखेल नहीं चल पाएगा। यदि डायवर्सन की फाइल 6 माह से ज्यादा समय तक पेंडिंग रही तो ये मान लिया जाएगा कि डायवर्सन से कोई आपत्ति नहीं है और डीम्ड अनुमति मान ली जाएगी। इसका असर ये होगा कि आम आदमी को डायवर्सन के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए सरकार भू-राजस्व संहिता की धारा 172 में बदलाव करने जा रही है। इसके लिए राजस्व विभाग विधानसभा के मानसून सत्र में संशोधन विधेयक लाएगा।

पत्रकार वैभव श्रीधर की एक रिपोर्ट के अनुसार भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में जमीन का उपयोग बदलवाने के हजारों प्रकरण लंबित हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जानकारी में जब यह बात लाई गई तो उन्होंने ऐसा नियम निर्देश दिए जिससे आम आदमी को दफ्तरों के चक्कर न लगाना पड़ें। इसी के तहत राजस्व विभाग ने भू-राजस्व संहिता की धारा 172 में बदलाव का फैसला किया है। अब यदि छह महीने के भीतर डायवर्जन के मामलों में निर्णय नहीं होता है तो इसे डीम्ड (माना हुआ) अनुमति मान ली जाएगी।

यदि बाद में जमीन संबंधी किसी प्रकार का विवाद होता है तो संबंधित सक्षम अधिकारी को ही दोषी मानकर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही यह व्यवस्था भी की जा रही है कि लोगों को नगर तथा ग्राम निवेश या नगरीय निकायों की अनावश्यक अनुमतियां न लेनी पड़े। लेकिन सरकार कुछ ऐसी जगह भी चिन्हित करने जा रही है जहां जमीन का उपयोग परिवर्तन (डायवर्सन) कराने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य होगा। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरुण पांडे ने बताया कि जमीन के उपयोग परिवर्तन के नियमों को सरल बनाया जाएगा। इसके लिए भू-राजस्व संहिता की धारा 172 में बदलाव करेंगे।

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