मप्र के MP/MLA नहीं चाहते, उनके पड़ौस में दलित और गरीब रहें

भोपाल। मंच पर खड़ा नेता किसी भी पार्टी का हो, बात गरीबों की ही करता है। आजकल तो कुछ नेता गरीब और दलितों के यहां जाकर खाना खाते हैं। बेटियों का विवाह कराते हैं और ना जाने क्या क्या आदर्श प्रस्तुत करते हैं परंतु उनका असली चेहरा 'रचना टावर' मामले में सामने आ रहा है। यहां विधायक और सांसदों के लिए आवास बन रहे हैं। नियमानुसार 68 आवास दलित और गरीबों के लिए आरक्षित किए जाने पर हैं परंतु दलित और गरीबों के लिए जीवन समर्पित करने की शपथ उठाने वाले नहीं चाहते कि उनके पड़ौस में आकर कोई दलित या गरीब रहे। इसलिए वो नियम को शिथिल करने की कवायद शुरू करवा रहे हैं। 

जनप्रतिनिधियों के दबाव में आवास संघ ने एलआईजी और ईडब्ल्यूएस केटेगरी के आवासों का निर्माण शुरू होने से पहले ही रुकवा दिया है। अब आवास संघ ने राज्य शासन को प्रस्ताव भेजकर लोअर इनकम ग्रुप (एलआईजी) और इकोनॉमिक वीकर सेक्सशन (ईडब्ल्यूएस) आवासों के निर्माण से छूट देने की मांग की है। इसमें गरीबों के आवासों को जूनियर एमआईजी में कन्वर्ट करने का प्रस्ताव है। ताकि सांसद-विधायकों के अलावा किसी और को यहां फ्लैट्स न देना पड़े। जबकि टेंडर में स्पष्ट लिखा है लोअर इनकम ग्रुप के लिए 68 आवास बनेंगे। 

जूनियर MIG बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है
एलआईजी और ईडब्ल्यूएस के आवासों को जूनियर एमआईजी में कन्वर्ट करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। शासन से मंजूरी मिलने के बाद भी इस पर निर्णय हो सकेगा। यदि शासन मंजूरी नहीं देता है, तो एलआईजी और ईडब्ल्यूएस क्वार्टर्स बनवाने पड़ेंगे। 
आरके शर्मा, मैनेजिंग डायरेक्टर

इसमें छूट नहीं दी जा सकती
हाउसिंग प्रोजेक्ट में कुल आवासों का 15 फीसदी एलआईजी और ईडब्ल्यूएस केटेगरी के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य है। यदि प्रोजेक्ट 5 एकड़ से कम क्षेत्रफल का है तो आश्रय शुल्क जमा कर शासन से छूट ली जा सकती है, लेकिन प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 5 एकड़ से ज्यादा है तो इसमें छूट नहीं दी जा सकती है। 
मनोज सिंह मीक, उपाध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल

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