रेरा के कारण BUILDERS की हवा टाइट, नहीं मिल रहा बीच का रास्ता

जबलपुर। मार्च 2016 को देश की संसद में पारित रियल एस्टेट अथॉरिटी एक्ट (रेरा) ने बिल्डरों की हवा निकाल कर रख दी है। सबसे ज्यादा परेशानी उन अधकचरा बिल्डरों को होे रही है जो ग्राहक से बुकिंग ले राशि को इस प्रोजक्ट से उस प्रोजक्ट में पलटाते रहते थे। रेरा के प्रावधानों के तहत निर्माणाधीन प्रोजक्ट की 70 फीसदी राशि उसी प्रोजक्ट के बैंक अकाउंट में रखने की बाध्यता के कारण बिल्डर अब यह खेल नहीं खेल पा रहे हैं।  जानकारों की मानें तो देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में क्रमश: जारी अधिसूचना के बाद बिल्डिंग व्यवसाय खतरे में पड़ गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिदाउट प्रोजक्ट रजिस्ट्रेशन के न तो उसकी मार्केटिंग की जा सकती है न ही उस पर बुकिंग ली जा सकती है। 

नहीं झाड़ पा रहे पल्ला 
सबसे खास बात यह है कि संबंधित प्रोजक्ट का पैसा एग्रीमेंट में दर्शाए गए प्रोजक्ट पर ही लग रहा है यह सुनिश्चित करना भी बैंक और रेरा अफसरों सहित बिल्डर्स की जिम्मेदारी है। जिससे उनके पास कैपिटल में कमी आ गई है। उस पर से मुसीबत यह है कि पांच साल तक स्ट्रक्चर में कोई भी डिफेक्ट आने पर उसकी जवाबदारी बिल्डर को ही उठाना है। चूंकि रजिस्टर्ड प्रोजक्ट की पूरी जानकारी अथॉरिटी के पास होगी इसलिए खरीददार को कब्जा देने के बाद भी बिल्डर पल्ला नहीं झाड़ पा रहे। 

जबलपुर में भी शुरु कार्रवाई 
बता दें कि प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर,भोपाल आदि शहरों के बाद जबलपुर में भी रेरा को लेकर कार्रवाई शुरु हो चुकी है। इसके चलते जबलपुर में भी बिल्डर्स को अनिवार्य रुप से रजिस्ट्रेशन कराने कहा जा चुका है। इस संबंध में कलेक्टर सहित जिला पंजीयक कार्यालय और नगर-निगम द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। इसके पहले रेरा द्वारा यहां बिल्डर्स की वर्कशॉप का आयोजन कर उन्हें सभी जरुरी जानकारियां दी जा चुकी हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !