प्रमोशन से इंकार करने वाले कर्मचारी को भी है समयमान वेतन का अधिकार: हाईकोर्ट

इंदौर। हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी की याचिका पर फैसला दिया कि वह भले ही प्रमोशन न ले, यदि उसने समयमान वेतनमान की पात्रता हासिल करने के लिए सर्विस पूरी कर ली तो सरकार उस वेतनमान को रोक नहीं सकती। कोर्ट ने रिट पिटिशन स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार चार महीने में याचिकाकर्ता को समयमान वेतनमान का एरियर, वेतन जारी करे। इस मामले में हाई कोर्ट का यह महत्वपूर्ण फैसला है।

ट्रेजरी विभाग में पदस्थ द्वितीय श्रेणी के सहायक गेंदालाल आरनिया ने अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के जरिए याचिका दायर की थी। उन्हें नौकरी के दौरान तीसरी बार समयमान वेतनमान का लाभ मिला था। इसके लिए उन्होंने 30 साल की सर्विस भी पूरी कर ली थी, लेकिन उन्होंने अकाउंटेंट के रूप में मिला प्रमोशन स्वीकार नहीं किया। सरकार ने इसी आधार पर उनका तीसरा समयमान वेतनमान व एरियर देने से मना कर दिया था।

उसका कहना था जब प्रमोशन नहीं लिया तो उस पद का वेतन भी नहीं दिया जा सकता। याचिका में उल्लेख किया कि प्रमोशन और वेतनमान दोनों अलग-अलग हैं। वेतनमान की पात्रता आवश्यक सर्विस के आधार पर बनती है जो याचिकाकर्ता ने पूरी कर ली, जबकि प्रमोशन लेना-नहीं लेना स्वैच्छिक होता है। प्रमोशन नहीं लेने को वेतनमान से नहीं जोड़ा जा सकता। इस पर हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि सरकार प्रमोशन न लेने को वेतनमान के साथ न जोड़े। चार महीने में याचिकाकर्ता को सभी लाभ दे।

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