मप्र: AADHAR CARD ने पिछड़ा परिवार मिलाया

भोपाल। आधार की अनिवार्यता को लेकर चौपाल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बहस चल रही है। इसकी उपयोगिता और अनुपयोगिता पर तर्क दिए जा रहे हैं। इस बीच एक अच्छी खबर आ रही है। आधार कार्ड ने यहां एक बिछड़े परिवार को मिला दिया। एक मंदबुद्धि युवक जो अपने परिवार से 2 साल पहले बिछड़ गया था। अब अपने परिवार के साथ है। मामला इंदौर की निरंजनपुर बस्ती का है। फिलहाल ये युवक बेंगलुरु में मानसिक रोगियों की एक संस्थान में है और उसे लेने के लिए परिवार और प्रशासन की टीम जल्द ही बेंगलुरु रवाना होगी।बिछड़ने के बाद दोबारा आधार कार्ड की वजह से परिवार से मिलने वाला ये भाग्यशाली युवक नरेंद्र उर्फ मोनू चंदेल है। मोनू मंदबुद्धि है और दो साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था। परिजनों ने काफी तलाशा लेकिन नहीं मिला। दिसंबर 2015 में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

मजदूर पिता रमेश चंदेल अपने बेटे को पाने की आस खो चुके थे लेकिन अचानक उन्हें प्रशासन ने सूचना दी कि उनका खोया बेटा मिल गया है और बेंगलुरु में है। पिता अपने बेटे को पाकर बहुत खुश हैं। अब परिवार और प्रशासन की एक टीम मोनू को लेने बेंगलुरु रवाना होगी। प्रशासन के मुताबिक बेंगलुरु जिला प्रशासन से भोपाल एक फोन आया जिसमें इस युवक के बारे में जानकारी थी। भोपाल से ये सूचना जिला प्रशासन को दी गई।

बेंगलुरु के जिस संस्थान में मोनू को रखा गया है वहाँ कुछ दिन पहले आधार कार्ड के लिए कैम्प आयोजित किया गया था। मोनू के फिंगर प्रिंट और आंखों की रेटिना लिए गए तो सॉफ्टवेयर ने उसे एक्सेप्ट नहीं किया। तकनीकी परेशानी जानने के लिए जांच की गई। फिंगर प्रिंट से मिलान किया गया तो पता चला कि युवक का आधार कार्ड पहले बना हुआ है। डिटेल निकाली गई तो युवक की पहचान मोनू के रूप में सामने आई।

फिर प्रशासन ने मोनू का पता और परिवार की जानकारी निकाली। तब पता चला कि मजदूरी करने वाले रमेश का बेटा मोनू दो साल पहले लापता हो गया था। फोटो से मिलान किया गया तो बेंगलुरु की संस्थान वाला युवक मोनू ही निकला। अब इंदौर जिला प्रशासन मोनू के माता-पिता को बेंगलुरु से लाने के लिए व्यवस्था कर रहा है।

अपनी तरह का ये पहला मामला है जब आधार कार्ड की मदद से कोई गुमशुदा व्यक्ति मिला हो। प्रशासन भी इस मामले के बाद 'आधार' की सक्सेस स्टोरी को लोगों को तक पहुँचाने की तैयारी कर रहा है।

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