कोविंद के राष्ट्रपति बनते ही कर्णन ने सजामाफी अर्जी लगा दी

नई दिल्ली। लोग इसे कुछ भी कहें परंतु अपने खिलाफ हुई कार्रवाई को दलित उत्पीड़न का नाम देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस सीएस. कर्णन ने रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनते ही सजा माफी की अर्जी लगा दी। उन्होंने यह अर्जी एडवाकेट मैथ्यूज जे. नेदुम्पारा के जरिए नए राष्ट्रपति तक पहुंचाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन को 6 माह की सजा सुनाई है। कर्णन को प्रेसिडेंसी करेक्शनल होम (सुधार ग्रह) में रखा गया है।

न्यूज एजेंसी से बातचीत मे नेदुम्पारा ने कहा- रिटायर्ड जस्टिस कर्णन को सुनाई गई छह महीने की सजा के खिलाफ हमने प्रेसिडेंट के सामने अर्जी दायर की है। हम प्रेसिडेंट से इस बारे में जल्द से जल्द बातचीत करना चाहते हैं। वकील ने आगे कहा- दायर अर्जी के संबंध में हम प्रेसिडेंट ऑफिस के टच में हैं। कर्णन के मुताबिक, उन्होंने यह अर्जी संविधान की धारा 72 के तहत दायर की है। इसमें राष्ट्रपति को सजा माफी का अधिकार दिया गया है। 

बता दें कि 9 मई को सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने जस्टिस कर्णन को यह सजा सुनाई थी। उन्हें कोयम्बटूर से 20 जून को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें फिलहाल, प्रेसिडेंसी करेक्शनल होम (सुधार ग्रह) में रखा गया है। बता दें कि कर्णन भारत में किसी भी हाईकोर्ट के सजा पाने वाले पहले जज हैं।

क्या है मामला?
जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी को पीएम को लेटर लिखकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों और मद्रास हाईकोर्ट के मौजूदा जजों पर करप्शन के आरोप लगाए थे। इसकी वजह से उन पर अवमानना का केस चल रहा है। कई बार नोटिस जारी होने के बाद भी वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुए हैं। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली सात जजों की बेंच ने 10 मार्च को जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। उन्हें 31 मार्च को कोर्ट में हाजिर करने का ऑर्डर दिया गया था।

लेटर में उन्होंने कहा था कि नोटबंदी से करप्शन कम हुआ है, लेकिन ज्यूडिशियरी में मनमर्जी और बेखौफ करप्शन हो रहा है। लेटर में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के मौजूदा और रिटायर्ड 20 जजों के नाम भी लिखे थे। मामले की किसी एजेंसी से जांच की मांग भी की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को जस्टिस कर्णन को नोटिस जारी पूछा था कि क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। कोर्ट ने उन्हें मामले की सुनवाई होने तक सभी ज्यूडिशियल और एडमिनिस्ट्रिेटिव फाइलें कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लौटाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को 13 फरवरी को कोर्ट में पेश हाेने को कहा था, लेकिन वो हाजिर नहीं हुए। 

दलित होने की वजह से मुझ पर हो रही कार्रवाई: कर्णन
कर्णन सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को लेटर लिखकर यह आरोप भी लगा चुके हैं कि दलित होने की वजह से उन पर यह एक्शन लिया जा रहा है। उन्होंने अपने लेटर में लिखा था, "यह ऑर्डर (सुप्रीम कोर्ट का नोटिस) साफ तौर पर बताता है कि ऊंची जाति के जज कानून अपने हाथ में ले रहे हैं और अपनी ज्यूडिशियल पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह एक एससी/एसटी (दलित) जज से छुटकारा पाने के लिए किया जा रहा है।

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