अपने ही हथियार से घायल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, तिलमिलाए

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की ओर से सीएम कैंडिडेट के दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ही हथियार से घायल हो गए। यह हथियार कुछ रोज पहले ही उन्होंने अपनी बुआ एवं मप्र की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को घायल करने के लिए बनाया था। अशोकनगर में भाजपाईयों ने उसी हथियार से सिंधिया को घायल कर दिया। अब सिंधिया तिलमिला रहे हैं। आदर्शवादी बयान जारी कर रहे हैं लेकिन दलितों के निशाने पर आ गए हैं। किसान आंदोलन के दौरान बनी सारी इमेज चकनाचूर हो गई। लहार की सभा का असर भी जाता रहा। अब सिंधिया को दलित विरोधी घमंडी महाराजा बताया जा रहा है। 

क्या किया था शिवपुरी में
शिवपुरी और जलसंकट एक दूसरे के पर्याय हैं। सिंध का पानी यहां का सबसे बड़ा सपना है। कई दशकों से सिंध का जल के नाम पर चुनाव जीते गए। इस बार जनता बागी हो गई। सरकार को सिंध परियोजना पर काम शुरू करना पड़ा। सिंध का पानी सतनवाड़ा तक आ गया। यशोधरा राजे परियोजना को व्यक्तिगत रूप से मॉनीटर कर रहीं थीं। उत्साहित यशोधरा राजे ने तय किया कि वो जिस दिन सतनवाड़ा में सिंध का पानी आएंगा, एक छोटा सा जश्न मनाएंगी। जैसे ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को इसका पता चला उन्होंने अपने समर्थक एवं नगरपालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह समेत 50 कांग्रेसियों को भेज दिया और यशोधरा राजे सिंधिया के कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले बलात उद्घाटन कर दिया गया। 

अशोकनगर में क्या हुआ
यहां जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। अभी फाइनल फिनिशिंग बाकी है परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तय किया कि इससे पहले कि भाजपा कार्यक्रम तय करेगा, श्रेय लूट लो। उन्होंने उस ट्रामा सेंटर का उद्घाटन कार्यक्रम घोषित कर दिया जिसे ठेकेदार ने अब तक विभाग को हेंडओवर ही नहीं किया है। भाजपा ने यहां सिंधिया के साथ वैसा ही किया जैसे सिंधिया ने शिवपुरी में भाजपा के साथ किया था। विधायक गोपीलाल जाटव आए और सिंधिया के निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले ट्रामा सेंटर का बलात् उद्घाटन कर गए। 

तिलमिलाए सिंधिया दलित विरोधी हो गए
तिलमिलाए सिंधिया ने निर्धारित तारीख को ट्रामा सेंटर का उद्घाटन किया। इससे पहले क्योंकि भाजपा ने उद्घाटन कर दिया था अत: गंगाजल से शुद्धिकरण किया गया। बस यहीं चूक गए सिंधिया। भाजपा की ओर से कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दलित विधायक गोपीलाल जाटव थे। भाजपा ने इसे मुद्दा बना लिया। इसे दलितों का अपमान करार दिया गया। अब सिंधिया को दलित विरोधी घमंडी महाराजा बताया जा रहा है। 

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