यूरिन से यूरिया बना रही है कर्नाटक सरकार: स्वच्छता के साथ किसानों का फायदा

हब्बाल्ली। बेल्लारी में बिना पानी वाले मूत्रालय बढ़ते फसलों के लिए खाद का एक स्रोत बन गए हैं। वाल्मीकि सर्किल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किए गए मूत्रालय लोगों के लिए वरदान साबित हुए हैं। वहीं, बेल्लारी सिटी कारपोरेशन द्वारा मूत्र से यूरिया निकालने का एक स्रोत बन गया है। बेल्लारी डीसी रामप्रसाद मनोहर ने कहा कि जिले में स्वच्छ बेल्लारी मिशन के तहत वाटरलेस मूत्रालयों को स्थापित किया गया था। ये यूरीनल्स टच फ्री हैं इसलिए इनसे बीमारी फैलने का जोखिम भी कम होता है।

उपायुक्त ने कहा कि मूत्र में नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फेट शामिल होते हैं, इसका उपयोग कृषि उद्देश्य के लिए किया जाता है। पायलट आधार पर एक बिना पानी वाला मूत्रालय स्थापित किया गया था और अधिक संख्या में लोग इसे प्रयोग कर रहे हैं। हम यहां जमा हुए मूत्र से यूरिया भी निकाल रहे हैं।

कृषि वैज्ञानिकों ने यह प्रमाणित किया है कि मूत्र से निकाले जाने वाले कंपोस्ट का इस्तेमाल फसलों के लिए किया जा सकता है। इसकी सफलता से उत्साहित जिला प्रशासन शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पांच और ऐसे ही मूत्रालय स्थापित करने की योजना बना रहा है। बाद में इसे जिले के अन्य स्थानों में भी लगाया जाएगा।

बेल्लारी सिटी कॉर्पोरेशन के कमिश्नर एमके नवलदी ने कहा कि एक पारंपरिक मूत्रालय को बनाने में करीब 50,000 रुपए का खर्च आता है। वहीं वॉटरलेस यूरीनल को स्थापित करने में 20,000 रुपए से लेकर 25,000 रुपए का खर्च आता है। 20 लीटर क्षमता के पानी के डिब्बे का इस्तेमाल मूत्र को जमा करने के लिए बेसिन की तरह किया जाता है।

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