राजनाथ सिंह, राजपूत हो तो वीटो लगाओ: दिग्विजय सिंह @आनंदपाल एनकाउंटर

नई दिल्ली। राजस्थान में बुधवार रात को हुए राजपूतों के उग्र प्रदर्शन और उनके खिलाफ शुरू हुई पुलिस कार्रवाई ने हालात और ज्यादा गंभीर कर दिए हैं। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने राजस्थान के राजपूत मंत्रियों से अपील की है कि वो समाज के हित में इस्तीफा दे दें साथ ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपील की है कि वो राजपूत धर्म निभाएं और आनंदपाल एनकाउंटर केस की सीबीआई जांच के लिए अपने वीटो का उपयोग करें।

मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गुरूवार 13 जुलाई 17 को एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि यदि कसाब को जिंदा पकड़कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था तो आनंदपाल का एनकाउंटर क्यों किया गया। सजा देना न्यायालय का काम है। पुलिस ने आनंदपाल को सजा ए मौत क्यों दे दी। उन्होंने लिखा कि राजस्थान में आनन्द पाल के फ़र्ज़ी एनकाउण्टर पर सीबीआई की माँग मानने में भाजपा को क्यों एतराज़ है?  उस पर अपराधिक प्रकरण थे तो भी उसे न्याय पालिका के सामने जाने का हक़ भाजपा सरकार कैंसे छीन सकती है! वो अधिकार तो आतंकवादी कसाब को भी मिला था।

उन्होने राजस्थान के सीएम वसंधुरा राजे के लिए लिखा 'मुख्य मंत्री जी अपना अहं और अहंकार  छोड़िए और सीबीआई की जॉंच के आदेश दीजिए। इन्हीं लोगों ने आपको दो बार मुख्य मंत्री बनाया है।' राजपूत समाज के मंत्रियों से दिग्विजय सिंह ने अपील की है कि यदि मुमं जी आदेश नहीं देती हैं तो भाजपा के राजस्थान के राजपूत मंत्रियों को तत्काल इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। श्री सिंह ने यह भी बताया कि 'मैंने राजनाथ सिंह जी देश के गृह मंत्री जी से भी अनुरोध किया है अपना क्षत्रीय धर्म निभाइए और राजस्थान की मुख्य मंत्री पर अपना वीटो लगाइए।' 

वसुंधरा राजे ने खेला था राजपूत कार्ड 
आनंदपाल एनकाउंटर मामले में वसुंधरा राजे सरकार का मास्टर स्ट्रोक ही दांव पर लग गया है। सरकार ने मामले की सीबीआई जांच को लेकर चल रहे आंदोलन में बातचीत के लिए डीजी जेल एवं राजपूत आईपीएस अफसर अजीत सिंह शेखावत को भेजा था। सोचा था कि राजपूत समाज में संदेश जाएगा कि वे ही राज्य के नए डीजीपी बनाए जा रहे हैं। उनकी सफलता से सरकार में एक दमदार राजपूत चेहरा उभरेगा। उन्होंने मौके पर जाकर कुछ राजपूत नेताओं से बातचीत शुरू भी की, लेकिन शाम होते-होते सांवराद में जुटी भीड़ बेकाबू हो गई और हिंसा पर उतर आई। इस नए घटनाक्रम के बाद केवल अजीत सिंह के लिए चुनौती बढ़ गई है, बल्कि सरकार के सामने भी यह संकट खड़ा हो गया है। 

नॉन कंट्रोवर्शियल अफसर माने जाते हैं अजीत सिंह
मोस्ट वांटेड आनंदपाल के एनकाउंटर की सीबीआई जांच को लेकर आंदोलन पर उतरे राजपूत और रावणा राजपूत समाज के संगठनों से बातचीत और समझाइश की जिम्मेदारी जब सरकार ने डीजी जेल अजीत सिंह शेखावत को सौंपी तो यह सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा था, क्योंकि अजीत सिंह की छवि नॉन कंट्रोवर्शियल, ज्यूडिशियल माइंडसेट और सख्त अफसर की है। उनकी जिम्मेदारी ऐसे मौके पर और भी महत्वपूर्ण हो गई है, जब यह आंदोलन अब उग्र हो चुका है। 

DGP सीट के प्रमुख दावेदार हैं
सरकार और आंदोलनकारी राजपूत समाज के बीच मध्यस्थता के लिए जेल आईजी अजीत सिंह का चुनाव राजपूत समाज को यह सीधा संदेश था कि उन्हें सरकार राज्य पुलिस का अगला मुखिया बना सकती है। मौजूदा डीजीपी मनोज भट्ट का कार्यकाल इसी 31 जुलाई को पूरा हो रहा है। इस कारण राज्य में नए डीजीपी का चयन इसी माह के अंत में होना है। वरिष्ठता सूची में भी अजीत सिंह एक अन्य डीजी नवदीप सिंह के बाद दूसरे नंबर पर हैं। अजीत सिंह 82 बैच के आईपीएस अफसर है। उनकी कार्यशैली ऐसी है कि हर मिशन में उनकी रणनीति कामयाब रहती है। हालांकि बुधवार शाम सांवराद में हिंसा भड़कने के बाद डीजीपी की दौड़ में अजीत सिंह की राह में मुश्किलें और बढ़ गई हैं। 

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