क्रिमिनल्स से दोस्ती के आरोपी, 29 IPS अफसरों के खिलाफ जांच नहीं कर रही MP CID

भोपाल। जरा बताइए, जो पुलिस अधिकारी प्रदेश में जुआ, सट्टा, अवैध शराब और चोर डाकुओं से हफ्ता लेकर उन्हे संरक्षण देते हों उनके खिलाफ आने वाली शिकायत की जांच की स्पीड क्या होनी चाहिए। यदि आरोपी पुलिस अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा का अफसर हो तो क्या यह मामला और गंभीर नहीं हो जाता परंतु मप्र में 29 आईपीएस अफसरों के खिलाफ घूस के बदले क्रिमिनल्स को बढ़ावा देने के लिखित आरोप हैं लेकिन पुलिस मुख्यालय की सीआईडी विजिलेंस शाखा कोई जांच ही नहीं कर रही। 

एसपी मीणा की 2 पत्नियों का मामला 
आगर मालवा के एसपी रघुवीर सिंह मीणा के खिलाफ 2006 से जांच चल रही है, जिसमें फर्जी जाति प्रमाण पत्र और दो पत्नियों संबंधी आरोप हैं। आयुक्त आदिवासी विकास मप्र छानबीन समिति भोपाल द्वारा जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जा चुका है लेकिन इसके विरुद्ध हाईकोर्ट से मीणा स्टे ले आए हैं। दो पत्नी के मामले में शासन ने जवाब मांगा है जो पीएचक्यू की प्रशासन शाखा में लंबित है।

गौरव राजपूत जुआ-सट्टा में क्लीनचिट, रिश्वत की जांच जारी
इधर, गौरव राजपूत के खिलाफ जुआ-सट्टा, अवैध शराब और खुलेआम वसूली की शिकायतें थीं, जिनमें उन्हें क्लीनचिट दे दी गई है। वहीं कटनी के नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. विशंभर ललवानी से 10 लाख रुपए लेने के मामले की जांच अभी चल रही है।

शैलेष सिंह: सीआईडी ने खात्मा लगाया, अदालत ने फिर जांच करवाई 
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शैलेष सिंह के खिलाफ दो शिकायतें थीं जिनमें से एक पुणे की रिनी जौहर से दस लाख रुपए लेने और दूसरी सायबर सेल में पदस्थापना के दौरान एक प्रकरण में उचित विवेचना नहीं करने की थी। सायबर सेल के मामले की जांच में सीआईडी ने खात्मा लगा दिया था लेकिन अदालत के आदेश पर इसे पुन: विवेचना में लिया गया।

सात आईपीएस के खिलाफ एक से ज्यादा शिकायतें
सूत्रों के मुताबिक सीआईडी के रिकॉर्ड में जिन अधिकारियों के खिलाफ एक से ज्यादा शिकायतें रही हैं उनमें पुरुषोत्तम शर्मा, अशोक अवस्थी, दिलीप कुमार आर्य, शैलेष सिंह, गौरव राजपूत, आरएस मीणा, एनबी बरकड़े के नाम प्रमुख हैं। हालांकि इनमें से कुछ अधिकारियों की कुछ शिकायतों को नस्तीबद्ध कर दिया गया है।

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