28 जुलाई से शुरू हो रहा है प्रो कबड्डी लीग, बच्चन फैमिली पर होगा फोकस

अगर बिग बी किसी मैच में ताली बजाएं और उनके बेटे अभिषेक बच्चन चिल्ला-चिल्ला कर अपनी टीम को प्रोत्साहित करें और ऐश्वर्या राय अपनी मीठी मुस्कान के साथ अच्छा खेलने वालों को फ्लाइंग किस दें तो क्या सोच सकते है आप कि उनके फैन्स को कितना अच्छा महसूस होगा। अब यह सब प्रो कबड्डी लीग में देखने को मिलता है। दरअसल अभिषेक बच्चन इस लीग की जयपुर पिंक पैंथर्स टीम के को-ओनर है और इस टीम के मैचों के दौरान अक्सर ऐसा नजारा देखने को मिल जाता है। इस लीग ने कबड्डी खिलाड़ियों की किस्मत बदल दी है। कुछ साल पहले तक जिन खिलाडियों को गांव देहात में भी कोई नहीं देखता था, वे आज पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के चहेते सितारे हैं। आज स्कूली बच्चों के बीच अनूप कुमार से लेकर मंजीत छिल्लर तक और जसवीर सिंह और प्रदीप नरवाल से लेकर नितिन तोमर और राहुल चौधरी तक खूब लोकप्रिय हैं।

इस लीग ने अन्य लीगों की तरह खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा भी मुहैया कराई है। आज यदि यूपी टीम नितिन तोमर को अपनी टीम में शामिल करने के लिए 93 लाख रुपए खर्च करती है तो इससे बाकी खिलाड़ियों की भी उम्मीद बंधती है और ज्यादा से ज्यादा युवा खिलाड़ी भी इस खेल को अपनाते दिखाई दे सकते हैं।

इस बार प्रो कबड्डी लीग को एक बड़ा प्रायोजक मिल गया है। VIVO ने पांच साल के प्रायोजन के लिए इस खेल को 250 करोड़ रुपए दिए हैं। 28 जुलाई से शुरू हो रही इस लीग के पांचवें सत्र में इस बार 12 टीमें भाग ले रही हैं। अब लीग का 13 सप्ताह तक चलने का मतलब ही यही है कि यह खेल अब लोकप्रियता के शिखर पर है। इसे लोकप्रिय बनाने में टीवी की अहम भूमिका रही है। इसके पहले सत्र से लेकर अब तक इसके टीवी दर्शकों में 56 फीसदी का इज़ाफा हुआ। इस लीग के आॅनलाइन दर्शकों की संख्या भी सवा करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है।
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जिस तरह से लीग में ईरान के खिलाड़ी लोकप्रिय हो रहे हैं और कोरिया के जांग कुन ली को बंगाल वॉरियर्स ने अपना आइकन खिलाड़ी बनाया है, इससे जाहिर है यह लीग इस खेल के लिए ओलंपिक के दरवाज़े खोल सकती है। इस समय 40 देश कबड्डी खेलते हैं और ओलंपिक में भागीदारी के लिए 50 देशों का अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना अनिवार्य है। इस लीग की लोकप्रियता से भारत का अगले वर्षों में यह सपना साकार हो सकता है। अभी टीमें बढ़ी हैं, टीवी दर्शक बढ़े हैं, आयोजन के दिन बढ़े हैं, इससे ज़्यादा देश इस खेल को अपनाएंगे, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। अगर भविष्य में इस लीग का कोई सीज़न या कुछ मुकाबले विदेश में होते हैं तो यह इस खेल के लिए मील का पत्थर साबित होगा। लीग के आयोजकों ने तो छठे सीजन में 18 टीमों को शामिल करने का लक्ष्य रखा है।

इस बार 12 टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया है। लीग में कुल 132 लीग मैच होंगे। हर टीम अपने ग्रुप की हर टीम से तीन-तीन मैच खेलेगी। यानी हर टीम को इस दौरान 15 मैच खेलने होंगे। आखिरी तीन हफ्तों में अंतर क्षेत्रीय मुकाबले होंगे। इस दौरान हर टीम दूसरे क्षेत्र की सभी छह टीमों से एक-एक बार भिड़ेगी। अंतिम पूर्व सप्ताह में वाइल्ड कार्ड मैच होंगे, जिसका फैसला ड्रॉ से होगा। सुपर प्ले आॅफ सप्ताह में क्वॉलिफायर 1 में जोन ए के दूसरे और जोन बी के तीसरे स्थान पर रहने वालों के बीच मुक़ाबला होगा। दूसरे क्वॉलिफायर में जोन ए के तीसरे और जोन बी के दूसरे स्थान पर रहने वालों में मुकाबला होगा। कवॉलिफायर 3 में जोन ए और बी के शीर्ष पर रहने वालों के बीच मुकाबला होगा। इसके विजेता को सीधे फाइनल में प्रवेश मिलेगा जबकि एलिमिनेटर 1 में क्वॉलिफायर 1 और दो के विजेताओं में मुकाबला होगा। एलिमिनेटर 2 में क्वॉलिफायर 3 की पराजित टीम और एलिमिनेटर 1 की विजेता टीमों में मुकाबला होगा, जिसके विजेता को फाइनल में प्रवेश मिलेगा। फाइनल 28 अक्तूबर को खेला जाएगा।

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