मप्र: पेंशनर्स से 200 करोड़ हड़प गई शिवराज सिंह सरकार

भोपाल। मध्यप्रदेश के 4.5 लाख पेंशनर्स लम्बे समय से छठे वेतनमान के 32 महीने के एरियर का इंतजार कर रहे हैं। यह कुल रकम करीब 200 करोड़ होती है। सीएम शिवराज सिंह ने खुद आगे बढ़कर इसका ऐलान किया था। अब वित्तमंत्री जयंत मलैया ने ऐसा कोई भी भुगतान देने से इंकार कर दिया है। कहते हैं मुझे ऐसा कुछ याद ही नहीं। सरकार ने कोर्ट में​ लिखकर दे दिया है कि हम ऐसा कोई भुगतान नहीं करेंगे। अब ऐलान करने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान भी चुप हैं। 

इधर, सातवें वेतनमान में पेंशनर्स को फायदा दिए जाने का फार्मूला अब तक तय नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री सचिवालय को वित्त विभाग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में पेंशनरों को सिर्फ 8 प्रतिशत का ही फायदा होना है, जबकि उनकी पेंशन में 14 प्रतिशत की वृद्धि होनी थी। सरकार पुराने प्रस्ताव के अनुसार पेंशन तय करती है तो उनकी 1 जनवरी 2016 को जो पेंशनर को जो पेंशन प्राप्त हो रही थी, उसे सिर्फ 2.42 गुना किया जाएगा, जबकि केंद्र सरकार को पेंशन की यह राशि कर्मचारियों के समान ही 2.57 के फार्मूले के अनुसार दी गई है।

देरी की वजह यह भी
पुनरीक्षण वेतनमान के हिसाब से पेंशन जल्दी तय न करने के पीछे सरकार की मंशा है कि उन्हें एरियर के झंझट से मुक्ति मिल जाए। कर्मचारियों को छठा वेतनमान देते समय सरकार ने वादा किया था कि पेंशनरों को भी कर्मचारियों के समान बढ़े वेतन का एरियर दिया जाएगा। इधर, सातवें वेतन आयोग में तो सरकार ने पेंशनर्स के बारे में कोई फैसला ही नहीं किया है।

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छठे वेतनमान का 32 महीने का एरियर देना था, मुझे इस बारे में पता नहीं है। सातवें वेतनमान में एरियर दिया जाएगा या नहीं इस बारे में विभाग से जानकारी लेकर कुछ कहा जा सकता है। 
जयंत मलैया, वित्त मंत्री
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सरकार ने वादा किया था कि पेंशनर को भी एरियर देंगे, लेकिन यह लाभ न देने का ही आदेश निकाल दिया। जबकि कोर्ट ने कहा है कि इन मामलों में सहानुभूति पूर्वक निर्णय लें।
गणेशदत्त जोशी, अध्यक्ष, पेंशनर्स एसो.

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