वास्तु ग्रह तथा मानव जीवन का गहरा सम्बन्ध है कुंडली मॆ पड़े हुए आपके ग्रहयोग भी आपके जीवन की सफलता और असफलता को तय करती है। ज्योतिष मतलब ईश्वर की ज्योति इस ज्योति के माध्यम से हम अपने ग्रहयोग देखकर अपने जीवन को उन्नत और खुशहाल बनाने का प्रयत्न कर सकते है यह प्रयत्न गुरु के प्रति श्रद्धा व विनम्रता से ही अच्छे परिणाम दे सकता है। भगवान ने किसी को कठपुतली नही बनाया सबको अंतर्ज्ञान बुद्धि विवेक की शक्ति दी है ताकि हम जीवन मॆ किसी के भरोसे न रहे।
वायव्य कोण (संचार दिशा) तथा व्यापार
उत्तर तथा पश्चिम के संधि कोण को वायव्य कहते है इस दिशा के स्वामी वायुदेव तथा देवता तथा अधिदेवता चंद्र ग्रह है। वायु चंचल होती है लगातार स्थान परिवर्तन इसका स्वभाव है। व्यापार मॆ इस दिशा मॆ बना हुआ माल रखने पर वह जल्दी बिक जाता है। यात्रा से जुड़े कार्य करने वाले लोग जैसे टूर ट्रेवल्स, ट्रांसपोर्टर आदि के लिये वायव्य दिशा महत्वपूर्ण होती है जो लोग मार्केटिंग, वकालत, सलाहकार तथा ज्योतिषी हो उनका शयन कक्ष वायव्य कोण मॆ होना चाहिये। इससे उनके कार्य मॆ उन्हे सफलता प्राप्त होती है। समुद्री व्यापार तथा नदियों से जुड़कर व्यापार करने वाले लोगो को वायव्य कोण हमेशा पवित्र रखना चाहिये इससे उन्हे अपने कार्य मॆ अच्छा लाभ मान सम्मान तथा यश मिलता है।
घर मॆ वायव्यकोण
इस दिशा मॆ अतिथि कक्ष होना चाहिये विवाह योग्य कन्या का कमरा वायव्य कोण मॆ ही होना चाहिये।फिशपोट रखने के लिये यह कोण उपयुक्त रहता है। यदि माता का स्वास्थ्य बिगडा रहता है तो निश्चित रूप से घर का वायव्य कोण दूषित है।
वायव्य कोण के उपाय
भगवान भोलेनाथ का पूजन अभिषेक इत्यादि करें। पूर्णिमा का व्रत करें। पूर्णिमा के दिन खीर का चंद्रदेव को भोग लगाकर वितरण करें। मां की सेवा करे इससे आपके घर का वायव्य कोण सुधरेगा साथ ही व्यापार मॆ शुभ परिवर्तन आयेगा।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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