SATNA के सस्पेंड कमिश्नर ने शिकायतकर्ता के दरवाजे पर सफाईकर्मियों का धरना कराया

सतना। नगर निगम कमिश्नर सुरेन्द्र कुमार कथूरिया को कल लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। आज कमिश्नर ने शिकायतकर्ता डॉ अग्रवाल के घर पर सफाईकर्मियों की भीड़ को भेज दिया। निगम कर्मचारियों ने डॉक्टर दंपती के खिलाफ गाली देने का आरोप लगाया और उनके विरोध में नारेबाजी की। कर्मचारियों का आरोप था कि डॉक्टर दंपती ने नगर निगम के सभी कर्मचारियों को गाली दी है। डॉक्टर राजकुमार अग्रवाल और सुचित्रा अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम के कर्मचारी बिना कोई नोटिस दिए उनके घर से सामान उठाकर निगम दफ्तर ले आए हैं। वे दोनों मिलकर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों को समझाते रहे लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। कुछ देर बाद सभी कर्मचारी डॉक्टर दंपती के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए कोतवाली थाने पहुंच गए और जमकर हंगामा किया। रिपोर्ट न लिखे जाने पर कर्मचारियों ने काम बंद करने की धमकी दी।

रिश्वत लेते पकड़े गए थे निगम आयुक्त
गौरतलब है कि डॉक्टर दंपती से 12 लाख नकद और 10 लाख रुपए के सोने के बिस्किट लेते रंगे हाथों पकड़े गए सतना नगर निगम कमिश्नर सुरेंद्र कुमार कथूरिया को राज्य सरकार ने मंगलवार देर रात निलंबित कर दिया है। उन्हें रीवा संभागीय आयुक्त कार्यालय में अटैच किया गया है। बताया जाता है कि उत्कृष्ट कार्य के लिए कथूरिया को दिया गया अवॉर्ड भी वापस लिया जा सकता है। लोकायुक्त टीम ने नगर निगम स्थित उनका चैम्बर भी सील कर दिया है। उन्हें मंगलवार को विशेष अदालत में न्यायाधीश देवनारायण शुक्ला के समक्ष पेश कर चार दिन की रिमांड पर लिया गया है।

इस काम के लिए मांगी थी 50 लाख रुपए की रिश्वत
सतना नगर निगम कमिश्नर रहे सुरेंद्र कुमार कथूरिया ने अवैध निर्माण को वैध करने के लिए पुराने नियम से कंपाउंडिंग फीस 1.20 करोड़ बता कर 50 लाख की रिश्वत मांगी थी। जबकि नए नियम से यह फीस 1 लाख 44 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होती है। डा. सुचित्रा व राजीव अग्रवाल ने चार साल पहले अवैध निर्माण के नोटिस पर कंपाउंडिंग फीस जमा करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उस समय नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। नए नियम अस्तित्व में आने के बाद आयुक्त कथूरिया ने डा. दंपत्ति से पुराने नियम का हवाला देकर रिश्वत मांगी।

जानकारी के मुताबिक डा. सुचित्रा व राजीव अग्रवाल ने भरहुत नगर में 4 हजार वर्गफीट आवासीय प्लाट पर तीन मंजिला भवन का निर्माण किया था। जिसके एक हिस्से में सिटी हास्पिटल और दूसरे हिस्से का उपयोग अपने रहने के लिए उपयोग में लिया था। वर्ष 2012 में नगर निगम ने डा. दंपत्ति को नोटिस भेजकर बिना अनुमति अधिक निर्माण, एमओएस (मार्जिनल ओपन स्पेस) में निर्माण और आवासीय उपयोग में चल रहे नर्सिंग होम को बंद करने को कहा था। नोटिस मिलने के बाद डा. दंपत्ति ने अवैध निर्माण को कंपाउंड करने के लिए आवेदन किया था। लेकिन इस पर कोई कार्रवाई चार साल तक नहीं की गई। 

इस बीच राज्य सरकार ने सितंबर 2016 को अवैध निर्माण को वैध करने के लिए नियमों का सरलीकरण कर दिया था। जबलपुर में अपर कलेक्टर रहे कथूरिया फरवरी 2017 में सतना नगर निगम के कमिश्नर बने तो उन्होंने शहर में चल रहे 15 से अधिक हॉस्पिटल व नर्सिंग होम्स के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। इस दौरान कथूरिया ने सिटी हॉस्पिटल को वैध करने के लिए पुराने नियम से कंपाउंडिंग फीस बता कर 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। जिसकी शिकायत पर लोकायुक्त की टीम ने कथूरिया को 10 लाख रुपए नगद और सोने के बिस्किट लेते रंगे हाथ पकड़े गए।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !