मंत्री थावरचंद गेहलोत के मीसाबंदी रिकॉर्ड में घोटाला | POLITICS

भोपाल। केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत आपातकाल रिकॉर्ड में घोटाला सामने आया है। कलेक्टर का रिकॉर्ड बता रहा है कि गेहलोत 45 दिन जेल में रहे जबकि जेल के रिकॉर्ड में 54 दिन दर्ज हैं। शिकायतकर्ता भूपेन्द्र दलाल ने पुलिस को दिए अपने बयान में दोनों रिकार्ड को फर्जी करार देते हुए मांग की है कि उन्हें जेल का मीसाबंदी रजिस्टर खुद देखने की अनुमति दी जाए। गौरतलब है कि भूपेन्द्र दलाल ने केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत के मीसाबंदी होने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वे महज 13 दिन जेल में रहे हैं। दलाल ने पुलिस को शिकायती पत्र देकर जांच की मांग की थी। पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह वर्मा के निर्देश पर जांच एडीशनल एसपी विजय खत्री कर रहे हैं।

जेल प्रशासन ने दी रजिस्टर देखने की अनुमति
भूपेन्द्र दलाल ने जिला कलेक्टर और जेल अधीक्षक से जेल जाकर मीसाबंदी से संबंधित रजिस्टर का देखने की अनुमति मांगी थी। दलाल को जेल प्रशासन ने इसकी अनुमति दे दी है। इसके लिए उनसे 50 रूपए प्रतिघंटा शुल्क देने को कहा गया है। दलाल ने बताया कि वे एक-दो दिन में उज्जैन के केन्द्रीय जेल जाकर रजिस्टर का अवलोकन करेंगे।

कलेक्टर और जेल दोनों के रिकॉर्ड फर्जी: दलाल
भूपेन्द्र दलाल ने कहा है कि कलेक्टर ने सामान्य प्रशासन को लिखे पत्र में गेहलोत की जेल में रहने की अवधि 45 दिन बताई है जबकि जेल प्रशासन इसे 54 दिन बता रहा है। दोनों की जानकारियां फर्जी हैं। भेरूगढ़ जेल प्रशासन ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा है कि आपातकाल के दौरान गेहलोत 23 दिसम्बर 1975 से 6 जनवरी 1976 तक जेल में रहे हैं, बाद में राजनीतिक दबाव के कारण यह रिपोर्ट बदल दी गई है। उन्होंने बयान में यह भी कहा है कि वे इस दौरान अन्य मामलों में अगर जेल में रहे हैं तो इसे मीसाबंदी में कैसे जोड़ा जा सकता है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !