MP किसान आंदोलन: वित्तमंत्री ने फटकारा, प्रदेशाध्यक्ष ने पुचकारा

भोपाल। कई बार कृषि कर्मण अवार्ड से सम्मानित हो चुकी शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ मप्र में किसान आंदोलन शुरू हो चुका है। कल इंदौर में एक बयान जारी करके वित्तमंत्री जयंत मलैया ने किसानों को फटकारने, दुत्कारने और भड़काने की कोशिश की थी। आज जब किसान भड़क उठे तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने उन्हे पुचकारने की कोशिश की है। हालांकि सरकार के खिलाफ शुरू हुए इस आंदोलन में नंदकुमार सिंह चौहान के बयान की कोई सरकारी अहमियत नहीं है, फिर भी उन्होंने आंदोलनकारी किसानों को शांत करने की कोशिश करते हुए एक बयान जारी किया है। इससे पहले वित्तमंत्री जयंत मलैया ने कहा था कि जो आंदोलन कर रहे हैं वो केवल मुट्ठीभर लोग हैं। मप्र का किसान इस आंदोलन में शामिल नहीं हैं। आज इन्हीं आंदोलनकारियों को नंदकुमार सिंह चौहान ने चर्चा के लिए बुलाया है। 

हमने किसानों के लिए एति​हासिक काम किए हैं
आज बीजेपी मीडिया सेंटर से जारी प्रेस बयान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद नंदकुमारसिंह चौहान ने किसान आंदोलन के नाम पर प्रदेश के कुछ स्थानों पर अचानक उपद्रव पैदा किए जाने की घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे प्रदेश में जहां के मुख्यमंत्री दिन रात मेहनत करके किसानों के हित में परिश्रम कर रहे है वहां अचानक जो वातावरण खड़ा किया गया है यह किसी आंदोलन की सहज प्रवृत्ति नहीं है। इसके पीछे निश्चित तौर पर कुछ ऐसी ताकतें है जो किसानों को बरगला कर उनके हित में सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यो से ध्यान हटाकर वातावरण बिगाड़ना चाहती है। सच्चाई तो यह है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा किसानों के हित में जो कदम उठाए गए है वे ऐतिहासिक है। इन्हीं कदमों के कारण मध्यप्रदेश को पांच बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है और हमारी कृषि विकास दर 20 प्रतिशत से ऊपर पहुँच गयी है।

षडयंत्रकारियों ने आंदोलन प्लान किया है
श्री चौहान ने कहा कि कोई भी आंदोलन करने से पहले उसकी एक प्रक्रिया होती है। जिन्हें अपनी समस्या बताना होती है वह वर्ग पहले ज्ञापन देता है, चर्चा करता है, चेतावनी देता है और यदि इसके बावजूद भी कोई सरकार अथवा प्रशासन उस समस्या की अनदेखी करता है तो आंदोलन के नाम पर प्रारंभिक चरण धरना आदि होते है लेकिन गत दिवस जिस प्रकार से कुछ लोगों ने किसानों के नाम पर अराजकता पैदा की वह लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वस्थ परंपरा नहीं कही जा सकती है। निश्चित ही आंदोलन के नाम पर कुछ ऐसे लोग अचानक सक्रिय हुए है जिनके स्वार्थ माहौल खराब करने से ही सिद्ध होते है। 

दूध फैलाया क्यों, बच्चों में बांट देते
जहां तक किसानों का सवाल है तो एक भी ऐसा किसान नहीं मिल सकता जो स्वयं खेत खलिहानों में पसीना बहाकर अपनी फसल पैदा करे और उसे सड़कों पर फैलाकर वाहनों के टायरों से रौंद डाले। यह जो मन को व्यथित करने वाला दृश्य कल दिखाई दिया उसके पीछे कुछ ऐसे तत्व है जिन्होंने किसानों की फसलों को उनसे जबरन छीनकर सड़कों पर फैलाया। हमारे समाज में दूध जैसी चीज को सड़क पर बहाने की संस्कृति कभी रही नहीं। यदि कोई वास्तविक किसान अपनी फसल अथवा दूध को बाजार में न बेचने का विरोध प्रदर्शन करता तो वह निश्चित ही कहीं गरीबों में बांटता, किसी भूखे, प्यासे बच्चे को दूध पिलाता तब निश्चित तौर पर यह माना जा सकता था कि आंदोलन करने वाला वास्तविक किसान है।

किसान बहकावे में ना आएं 
श्री चौहान ने प्रदेश के किसानों से अपील की है कि वे किन्हीं ऐसे तत्वों के बहकावे में न आएं जो प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की किसान कल्याण योजनाओं में रोड़ा बनना चाहते हैं। प्रदेश के किसान यह अच्छी तरह जानते हैं कि फसल बीमा योजना जैसे कार्यो से किसानों को कितनी राहत मिली है। इतना ही नहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री खेती को न सिर्फ फायदे का धंधा बनाने के लिए आतुर है बल्कि उनका लक्ष्य है कि किसान की आमदनी दोगुनी की जाए। आज प्रदेश में सिंचित रकबा 40 लाख हेक्टेयर के उपर पहुंचा है जो कांग्रेस के शासनकाल में दहाई का अंक भी नहीं छू सका था। 

जहां चाहो वहां बात करने को तैयार
श्री चौहान ने कहा है कि प्रदेश की सरकार किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव तत्पर है। किसान जिस भी मंच पर चर्चा के जरिए अपनी समस्याएं बताना चाहते हैं उनका स्वागत है। हमारी सरकार किसानों के प्रति पूर्व से ही अत्यंत संवेदनशील है इसलिए उनकी समस्याओं का निदान हमारी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। मेरा पूरा विश्वास है कि मध्यप्रदेश की सरकार त्वरित गति से उन समस्याओं का समाधान करेगी।

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