ललित मुदगल/शिवपुरी। यहां एक किसान ने अपने ही खेत में एक पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके परिवार में गरीबी का आलम यह था कि उसके तीन मजदूर बेटों के पास किसान पिता की अर्थी और चिता तक के लिए पैसे नहीं थे। गांव वालों ने चंदा करके अंतिम संस्कार का सामान जुटाया। किसान कर्ज से परेशान था और लगातार 3 साल से उसे घाटा हो रहा था।
शिवपुरी के पास गांव बिनेगा का किसान कल्ला केवट महज पौने तीन बीघा जमीन के सहारे तीन शादीशुदा बेटों के परिवार पाल रहा था। जमीन कम थी, इसलिए बेटे दूसरे किसानों के खेतों को बटाई पर लेकर मजदूरी करते थे। बीते 3 साल से लगातार फसलों में नुकसान होने से पिता-बेटे मिलकर भी परिवार नहीं चला पा रहे थे।
अच्छी फसल की आस में कल्ला ने कर्ज लेकर खेती की, लेकिन इस बार भी उपज अच्छी नहीं हुई। आर्थिक तंगी से परेशान किसान कल्ला के सामने सभी रास्ते बंद नजर आने लगे, और कर्ज देने वाले लगातार दबाव डालने लगे तो डिप्रेशन में आकर कल्ला ने खुद को ही खत्म कर लिया। उसकी बॉडी पेड़ पर लटके होने की सूचना बेटों को गुरुवार सुबह लगी। पुलिस को सूचना दी गई। पोस्टमार्टम के बाद बॉडी बेटों को सौंप दी गई। अब उनके सामने अंतिम संस्कार की परेशानी आ गई।
बेटों के पास नहीं जुटे अंतिम संस्कार के भी साधन
बेटों के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि पिता का अंतिम संस्कार कर सकें। आखिरकार गांव वाले इकट्ठे हुए। लकड़ी समेत दूसरे सामान की व्यवस्था की गई। तब कल्ला केवट का अंतिम संस्कार हो सका।