नई दिल्ली। महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के बाद अब छत्तीसगढ़ में किसान आंदोलन की तैयारी शुरू हो गई है। यहां किसान संगठनों ने 11 जून से आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। मप्र की तरह यहां भी कई किसान संगठनों ने अलग अलग ऐलान किए हैं। पूरा आंदोलन किसी एक संगठन के बैनरतले नहीं होगा। ऐसे में सरकार के सामने आंदोलन से निपटना एक बड़ी मुश्किल बन जाएगा।
हालांकि आंदोलन पर आमादा किसान मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ बातचीत कर रहे हैं। कुछ किसान नेताओं ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात की है। शाह तीन दिनों के छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं लेकिन मुलाकातों के बावजूद किसानों की समस्या सुलझने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
जो वादे पूरे नहीं किए, उनका जिक्र भी मत करो
अमित शाह छत्तीसगढ़ में बीजेपी को चौथी बार जीत दिलाने का रोडमैप तय करने आए हैं। बीजेपी के हेड ऑफिस में विधायकों और सांसदों के साथ बैठक के दौरान शाह ने दो-टूक कहा कि जो वायदा पूरा ना किया जा सके उसका जिक्र ना किया जाए। जब पार्टी विधायक शिवरतन शर्मा ने पिछले विधानसभा चुनाव में किसानों को दिये आश्वासनों पर खरा ना उतरने की शिकायत की तो उन्हें चुप रहने को कहा गया। शाह ने उनसे कहा कि जो नहीं कर पाए उसकी बात ना करें और जो किया है उसे जनता के बीच लेकर जाएं।
वादे जो वादे ही रह गए..
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के किसानों से धान का समर्थन मूल्य 1200 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2100 रुपये प्रति क्विंटल करने का वायदा किया था। इसके अलावा प्रति क्विंटल बोनस भी 270 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये करने का भरोसा दिलाया गया था। रमन सिंह ने सत्ता की हैट्रिक बनाई लेकिन मौजूदा कार्यकाल के तीन साल पूरे होने पर भी ये वायदे हकीकत नहीं बने हैं।