GST: व्यापारियों को दी राहत, सितम्बर तक फाइल करें रिटर्न

नई दिल्ली। देश में सबसे बड़ा इनडायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म पहली जुलाई से ही लागू होगा। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स के लिए बनाई गई शीर्ष इकाई जीएसटी काउंसिल ने पहले से तय डेडलाइन पर ही मुहर लगाई। हालांकि रिटर्न फाइल करने के नियमों में सितंबर तक के लिए ढील देने का निर्णय किया गया ताकि नए टैक्स सिस्टम को अपनाने की प्रक्रिया में ऐसे छोटे ट्रेडर्स और दूसरे लोगों को दिक्कत न हो, जो हो सकता है कि इस नई व्यवस्था के लिए खुद को समय से तैयार न कर सकें। 

रविवार को हुई बैठक में काउंसिल ने एक ऐंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी बनाने को भी मंजूरी दी, जिसका वजूद दो वर्षों तक रहेगा। काउंसिल ने राज्य सरकारों की ओर से चलाई जाने वाली लॉटरियों पर 12% और राज्य सरकारों की मान्यता से प्राइवेट इकाइयों की ओर से चलाई जाने वाली लॉटरियों पर 28% की टैक्स रेट तय की। पांच सितारा होटलों के भीतर के रेस्तरां के लिए जीएसटी का स्टैंडर्ड रेट 28% से बदलकर 18% कर दिया गया। 

इसके अलावा 7500 रुपये से ज्यादा रूम टैरिफ वाले होटलों पर ही अब 28% टैक्स लगेगा। पहले 5000 रुपये से ज्यादा रूम टैरिफ वाले पर इतना टैक्स लगने की बात थी। 2500 रुपये से 7500 रुपये तक के रूम टैरिफ वाले होटलों के लिए टैक्स रेट 18% होगी। 

काउंसिल के चेयरमैन और फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने रविवार को कहा, 'हमारे पास जीएसटी को टालने की गुंजाइश नहीं है। जीएसटी काउंसिल ने पहली जुलाई से इसे लागू करने का फैसला किया।' उन्होंने कहा, 'ऑफिशिल लॉन्च 30 जून की आधी रात को होगा।' सितंबर तक रिटर्न फाइल करने की छूट का मतलब यह है कि तब तक कोई लेट फीस या पेनल्टी नहीं लगेगी। 

एक सरकारी बयान में कहा गया, 'इसका मकसद टैक्सपेयर्स को सहूलियत देना है। इससे उन्हें बदले हुए सिस्टम की जरूरतों के मुताबिक खुद को ढालने की गुंजाइश मिलेगी।' ट्रेडर्स के पास सिंपल रिटर्न के आधार पर 20 जुलाई तक टैक्स पेमेंट का वक्त होगा, वहीं इनवाइस डीटेल्स 15 जुलाई से फाइल की जा सकेंगी। रजिस्ट्रेशन विंडो नए लोगों और इकाइयों के लिए 25 जून से खुलेगी। 

अधिकतर राज्यों ने स्टेट जीएसटी लॉ पास कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल ने इसके लिए अध्यादेश जारी किया है। रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अधिया ने कहा कि राज्यों ने व्यवस्था कर ली है और वे इसे तुरंत लागू करने के लिए तैयार हैं। काउंसिल ने जीएसटी नेटवर्क की तैयारी का जायजा भी लिया। 

जेटली ने कहा, 'आईटी नेटवर्क की तैयारी पर विस्तार से चर्चा हुई।' उन्होंने बताया कि मौजूदा टैक्सपेयर्स में से 81.1% जीएसटीएन पर एनरोल हो चुके है। उन्होंने कहा कि 80.91 लाख में से 65.3 लाख ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है। जेटली ने कहा कि एग्जेम्प्शन की सीमा कुछ राज्यों में 5 या 10 लाख है और जीएसटी में इसे 20 लाख रुपये रखा गया है, जिससे कुछ लोग टैक्स नेट से बाहर भी हो सकते हैं। 

जीएसटी लागू करने की तारीख पर इंडस्ट्री की राय बंटी हुई थी। कुछ हिस्सों से इसे टालने की मांग की जा रही थी। जेटली ने कहा कि इंडस्ट्री के पास अब कोई भी फाइलिंग करने से पहले 42 दिनों का समय होगा। 

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'इंडस्ट्री ऐतिहासिक टैक्स रिफॉर्म जीएसटी के लिए तैयार है। इससे इकनॉमिक ग्रोथ, एंप्लॉयमेंट और एक्सपोर्ट्स के मोर्चे पर काफी फायदा होने की उम्मीद है।'

काउंसिल ने प्रस्तावित ऐंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी के लिए ऑपरेशनल फ्रेमवर्क और नियमों को मंजूरी दी। इस अथॉरिटी से यह सुनिश्चित होगा कि जीएसटी के तहत करों में किसी भी कमी का फायदा कंज्यूमर्स को मिले। 

राज्य, केंद्र और जीएसटी काउंसिल के अधिकारियों वाली नौ सदस्यों की एक स्टैंडिंग कमेटी इस मामले में आने वाली शिकायतों पर गौर करेगी और फिर उन्हें जांच के लिए डायरेक्टर जनरल सेफगार्ड्स के पास भेजेगी। ऐंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी इस बारे में अंतिम निर्णय करेगी कि कंपनी ने मुनाफाखोरी की या नहीं। अगर मुनाफाखोरी की बात सही पाई गई तो पैसा कंज्यूमर्स को लौटाना होगा और अगर ऐसा करना संभव न हो तो पैसा कंज्यूमर वेलफेयर फंड में जाएगा। 

काउंसिल ने नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की खातिर कंपोजिशन स्कीम के लिए टर्नओवर की सीमा 75 लाख रुपये के बजाय 50 लाख रुपये कर दी। पिछली मीटिंग में सभी राज्यों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 75 लाख रुपये किया गया था। काउंसिल ने कंपोजिशन स्कीम के लिए नेगेटिव लिस्ट को बढ़ाते हुए इसमें आइसक्रीम, पान मसाला और तंबाकू को शामिल कर लिया। 

काउंसिल ने अडवांस रूलिंग्स, अपील्स ऐंड रिवीजंस, असेसमेंट, एंटी-प्रॉफिटियरिंग और फंड सेटलमेंट से जुड़े नियमों के पांच सेट्स पर आगे बढ़ने की मंजूरी भी दी। 

विवादित ई-वे बिल के नियमों पर विस्तार से चर्चा तो हुई, लेकिन नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका क्योंकि राज्यों में सहमति नहीं बन सकी। ई-वे ड्राफ्ट बिल में कहा गया है कि 50,000 रुपये से ज्यादा की वस्तुओं के राज्य के भीतर या बाहर ट्रांसफर के लिए ई-वे परमिट बनवाना होगा। जेटली ने कहा कि जब तक कोई निर्णय इस बारे में नहीं हो जाता, मौजूदा प्रावधान मान्य होंगे। 

काउंसिल ने शिपिंग वेसेल्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 5 पर्सेंट इंटीग्रेटेड जीएसटी तय किया है। अर्न्स्ट ऐंड यंग में नैशनल लीडर (इनडायरेक्ट टैक्स सर्विसेज) हरिशंकर सुब्रमण्यम ने कहा, 'ट्रांजैक्शन के आधार पर रिटर्न फाइल करने के लिए सितंबर तक की छूट से इंडस्ट्री को राहत मिलेगी।'

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जुलाई और अगस्त के लिए जीएसटी के तहत रिटर्न फाइल करने से छूट दिए जाने का स्वगत किया। उसने कहा, 'हालांकि इंटर-स्टेट ट्रांजैक्शंस की चेकिंग के लिए विभिन्न राज्यों के मौजूदा सिस्टम को जारी रखने की इजाजत देने से जीएसटी सिस्टम में गतिरोध आएगा। अच्छा होता कि ई-वे बिल और एचएसएन कोड के प्रावधान को कम से कम छह महीनों के लिए टाल दिया जाता।'
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