GST: साल में 37 रिटर्न भरने होंगे छोटे कारोबारियों को

नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के बाद एक ही राज्य में अपनी वस्तुओं का परिचालन करने वाले छोटे स्तर की विनिर्माता (मैन्युफैक्चरिंग) कंपनियों को एक साल में 37 रिटर्न दाखिल करने होंगे। जबकि ऐसी कंपनियों को मौजूदा समय में सिर्फ 13 रिटर्न ही दाखिल करने होते हैं। ऐसा होने से न सिर्फ इंडस्ट्री के लिए बल्कि अकाउंटेंट्स और बैंकों के लिए अतिरिक्त काम बढ़ जाएगा। इंडियास्पेंड के एक विश्लेषण के मुताबिक यह बात सामने आई है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर कानून को 1 जुलाई से लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

ऐसे में जब जीएसटी कानून को लागू होने में सिर्फ एक महीने से कम का वक्त बचा है, वित्त पेशेवर, बैंक और इंडस्ट्री एक देश-एक कर के विचार की कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों के लिए तैयार नहीं जान पड़ रहे हैं। यह विचार करीब 13 साल पहले सामने आया था। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष के रघु ने इंडियास्पेंड को बताया कि जीएसटी को स्वीकार करने के लिए पूरे सिस्टम को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके कार्यान्वयन की एक आदर्श तारीख 1 सितंबर होगी। इंडियन बैंक एसोसिएशन ने संसदीय समिति को सूचित कर दिया है कि उनके सदस्य नई कर व्यवस्था के कार्यान्वयन के लिए तैयार नहीं हैं।

एक साल में भरने होंगे 37 रिटर्न:
देश में जीएसटी के लागू होने के बाद सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा, इसलिए सब कुछ नियमित तौर पर अपडेट करते रहना होगा। एक बिजनेस को राज्य के हिसाब से 37 रिटर्न सालाना दाखिल करने होंगे (तीन रिटर्न हर महीने और एक रिटर्न सालाना)। यह नियम हर राज्य पर लागू होगा।

बिजनेस के हिसाब से बढ़ेगी रिटर्न की संख्या:
वहीं जिस हिसाब से आपका बिजनेस राज्यवार बढ़ता जाएगा आपके रिटर्न की संख्या भी उसी के हिसाब से बढ़ती जाएगी। मान लीजिए अगर आपका बिजनेस तीन राज्यों में फैला है तो आपके सालाना रिटर्न की संख्या 111 होगी। यह संख्या इसी क्रम में बढ़ती जाएगी।

जीएसटी के अंतर्गत की गई तीन स्तरीय कर व्यवस्था:
जीएसटी के अंतर्गत तीन स्तरीय कर व्यवस्था की गई है। केंद्र और राज्य मिलकर दोहरे जीएसटी को लागू कर रहे हैं जिसमें आम कर आधार पर कर लगाया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से वस्तु एवं सेवाओं के अंतराल आपूर्ति पर लगाए गए जीएसटी को केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) कहा जाएगा। राज्यों की ओर से लगाए जाने वाले कर को स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) कहा जाएगा। इसी तरह अंतरराज्यीय माल और सेवाओं की आपूर्ति पर इंटीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी) केंद्र की ओर से लगाया जाएगा।
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