बिजली कंपनी का चौंकाने वाला घोटाला: ऐसा जो आज से पहले कभी नहीं हुआ

रमज़ान खान/दमोह। यहां बिजली कंपनी का चौंकाने वाला बिल घोटाला सामने आया है। इस घोटाले से करीब 200 ऐसे आदिवासी परिवार दहशतजदा हैं। अब तक कंपनी प्रत्येक परिवार के हिसाब से बिल भेजती थी। एक घर में एक ही मीटर होता है। फिर उसमें चाहे 2 सदस्य रहें या 20, लेकिन इस गांव में कंपनी ने परिवार के हर सदस्य के नाम अलग अलग बिल बनाकर भेज दिया। जिस परिवार में 4 सदस्य हैं, वहां 4 बिल पहुंच गए। माता, पिता, बेटा, बेटी और बहु, यहां तक कि नाबालिग बच्चे और मृत सदस्यों के नाम भी बिल भेज दिए गए। प्रति परिवार की जगह, प्रति व्यक्ति बिल थोप दिए गए वो भी उस गांव मेें जहां आजादी के बाद से आज तक बिजली ही नहीं पहुंची। अब इसे त्रुटि मात्र तो नहीं कह सकते। यह तो घोटाला ही है। जिसने कनेक्शन के लिए अप्लाई ही नहीं किया, उसे बिल कैसे थमा दिया। 

मामला दमोह के हटा जनपद के मड़ियादो ग्राम पंचायत के किसानपुरा और बछामा का है। सुदूर ग्रामीण अंचल और शासन की योजनाओं से कोसों दूर झोपड़ियों में रहने वाले ये किसानपुरा और बछामा के आदिवासी। जो प्रतिदिन दिन मजदूरी करके जैसे तैसे अपने परिवार का भरण पोषण कर पाते हैं। जिनकी जिन्दगी सूर्य के उदय से शुरू होती है और शाम ढलने के साथ ही ढल जाती है। आजादी के बाद से इस गांव के लोगों ने कभी अपने गॉव में बिजली नहीं देखी लेकिन जब उनके हॉथों में विद्युत विभाग ने बिजली के बिल थमा दिये तो भौंचक्के रह गये। 

अब उन्हेंं समझ नहीं आ रहा कि वह करें तो क्या करें। किसानपुरा गांव के बिहारी गौड, दशरथ, राममिलन, हीरालाल, छोटेलाल, मानक चन्ना, कलू इत्यादि दो दर्जन से अधिक लोगों ने बताया कि हमारे गांव में बिजली के खंबे लगे है और उनपर तार भी खिंचे है लेकिन किसी की झोपड़ी में बिजली नहीं है फिर भी पूरे गांव को बिजली के बिल दिये गये है। मामला यहां तक होता तो बात और थी। 

ग्राम बछामा में एक ही परिवार के सदस्यों के नाम से अलग अलग बिल दिए गए। अधिकतर बिल पति पत्नि के नाम से दिए गए। जिनमें शंकर आदिवासी इनकी पत्नी महारानी आदिवासी चतुरसिंह गौड पत्नि वर्षा रानी, हरिसिंग गौड पत्नि गीता सहित गांव के दर्जनों परिवार शामिल है नाबालिग बच्चों के नाम से भी बिजली बिल भेजे गये ऐसी खबर है। 

बछामा में दयाराम आदिवासी और हाकम आदिवासी जो इस दुनिया में नहीं हैं, उनके नाम पर भी बिल भेजा गया है। इस तरह यदि दोनों गॉवों की बात करें तो डेढ से दौ सौ परिवार विघुत विभाग के इस कहर से पीड़ित नजर आ रहे है। इस पूरे मामले पर दक्षिण पूर्व मध्य क्षेत्र विद्युत मंडल के अधीक्षण अभियंता एस. के. गुप्ता का कहना है कि बछामा और किसानपुरा मूल गांव हो सकते है जहॉ पर बिजली नहीं है और बिजली के बिल जा रहे है यह मझरे टोले या उनके मुहल्ले हो सकते है। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !