मंदसौर: मृत किसानों के परिजनों ने CM शिवराज सिंह को खरी खोटी सुनाईं

भोपाल। मंदसौर पुलिस फायरिंग में मारे गए 6 किसानों के परिजनों से मिलने के लिए आज सीएम शिवराज सिंह मंदसौर पहुंचे। यहां उन्हे किसानों के जबर्दस्त आक्रोश का सामना करना पड़ा। मृत किसानों के परिजनों ने सीएम को खूब खरीखोटी सुनाईं। एक किसान की विधवा ने सीएम से कुछ ऐसे सवाल किए कि वो कुछ नहीं बोल पाए। मृत किसान के पिता ने कहा कि अपनी सरकारी नौकरी और मदद अपने पास रखो, बस जिसने मेरे बेटे पर गोली चलाई उसे फांसी के फंदे तक पहुंचा दो। सीएम यहां किसानों को 1 करोड़ रुपए मुआवजा और उनके परिवार वालों को सरकारी नौकरियां देने आए हैं। इससे पहले शिवराज सरकार ने धारा 144 लगाकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल समेत किसी भी विपक्षी नेता को मंदसौर में प्रवेश तक नहीं करने दिया था। सीएम के आने से पहले धारा 144 हटा दी गई। 

सीएम पुलिस कार्रवाई में मारे गए घनश्याम (32) के पिता दर्गालाल से मिले। लाठीचार्ज में घायल होने के बाद घनश्याम को इंदौर ले जाया गया था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। पिता ने कहा कि दोषियों पर सख्त से सख्त कारवाई हो। हमें सरकारी नौकरी या सहायता राशि नहीं चाहिए। बस दोषियों पर कार्रवाई हो। इसके बाद सीएम महिलाओं से मिलने घर के भीतर पहुंचे। यहां घनश्याम की विधवा रेखा ने आक्रोश में आकर कहा कि आप पुलिस को गोली चलाने का आदेश दे सकते हो क्या? इस पर सीएम खामोश हो गए। इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं खुद इस मामले का देख रहा हूं, दोषियों को दंड मिलेगा। सीएम ने घनश्याम की 2 महीने की बेटी वंशिका को गोद लिया। शिवराज ने कहा कि घनश्याम का 4 साल का बेटा रघुदनंदन और बेटी वंशिका अब सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार इनके लिए सहायता राशि के अलावा हर संभव मदद करेगी।

बता देंं कि मंदसौर में पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद किसान आंदोलन उग्र हो गया था। इस हादसे के तुरंत बाद मंदसौर में शांति के लिए कोई भाजपा नेता वहां नहीं पहुंचा उल्टा धारा 144 लगाकार विपक्षी नेताओं को भी मंदसौर में घुसने से रोका गया। मंदसौर में शांति के लिए सीएम शिवराज सिंह भोपाल में उपवास पर बैठ गए लेकिन दूसरे ही दिन उन्होंने उपवास तोड़ दिया। मंदसौर में किसान अभी भी आक्रोशित हैं। सीएम की पूरी यात्रा का प्लान कुछ इस तरह से बनाया गया है कि उन्हे कम से कम आक्रोश का सामना करना पड़े। 

किसानों पर फायरिंग करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई
इस किसान आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में 6 किसान की मौत हो गई थी। 32 साल के घनश्याम बड़वन से थे। इसके अलावा 40 साल के कन्हैयालाल चिल्लौद पिपलिया के रहने वाले थे। बबलू टकरावद और 17 साल के अभिषेक बरखेड़ापंत से थे। वहीं, चैनराम नयाखेड़ा के रहने वाले थे। यहां पुलिस फायरिंग के बाद उग्र हुए किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। कई किसानों को जेल भेज दिया गया परंतु किसानों पर बिना आदेश गैरकानूनी फायरिंग करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार ने एक आयोग का गठन करके इस तरह की कार्रवाई को 3 महीने के लिए टाल दिया है। 

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