रेप पीड़िता को अपनी मां का शव भी ढोना पड़ा, कोई मदद को नहीं आया | छत्तीसगढ़ हुआ शर्मसार

नई दिल्ली। ये तो इंसानियत का सामूहिक बलात्कार है। सारी जिंदगी गांव और रिश्तेदारों से मधुर व्यवहार रखने वाली एक महिला की मौत के बाद उसकी अंतिम यात्रा के लिए गांव से 4 कंधे नहीं निकले, क्योंकि उसकी बेटी रेप पीड़िता है। उसके साथ हुए रेप के कारण उसे बच्चा भी हुआ है और उसने पंचायत की मर्जी के खिलाफ अपने बच्चे को अपने साथ रखा हुआ है। इसलिए समाज ने उनका बहिष्कार कर रखा है। क्योंकि रेप पीड़िता अपनी नानी मां की मृत्यु पर भागी चली आई थी, इसलिए गांव का कोई भी व्यक्ति वृद्धा को कंधा देने नहीं आया। पीड़िता को खुद अपने पिता व भाई के साथ अपनी मां का शव ढोना पड़ा। 

घटना छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की है। डोहेल गांव में बुधवार की रात बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। उसका भरा-पूरा परिवार, समाज और रिश्तेदार होने के बाद भी गुरुवार को उसकी अंतिम यात्रा में कोई शामिल नहीं हुआ। कारण सिर्फ इतना था कि उसके दामाद और लड़की की बेटी उसे कंधा देने पहुंच गए थे। देवभोग के जगन्नाथपारा में रहने वाले दामाद का कसूर सिर्फ इतना है कि उसने दुष्कर्म के बाद मां बनी नाबालिग बेटी को अपने घर में रखा हुआ है। समाज को ये नागवार गुजरा और उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया। उसके बाद से वह अपनी बेटी को लेकर अपनी सास को कंधा देने पहुंच गया। इसकी वजह से परिवार, समाज और रिश्तेदारों ने अंतिम यात्रा में शामिल होने के मना कर दिया। 

2015 में उसकी नाबालिग लड़की के साथ पड़ोस के एक युवक ने दुष्कर्म किया था। वह गर्भवती हो गई। पीड़िता की शिकायत पर न्यायालय ने आरोपी को जेल भेज दिया। मगर समाज के लोगों ने पीड़ित परिवार को लड़की को साथ में नहीं रखने की बात कहकर समाज से बहिष्कृत कर दिया। समाज के तानों से तंग आकर पीड़ि‍त परिवार फिलहाल गांव के बाहर श्मशान घाट के पार सुनसान इलाके में रहता है। इधर पंचायत ने रेप पीड़िता का जीतेजी अंतिम संस्कार कर दिया है। 

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