BJP MP के प्रदेशाध्यक्ष ने चुनाव आयोग के फैसले पर उंगली उठाई

भोपाल। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने भारत के निर्वाचन आयोग के फैसले पर सार्वजनिक रूप से उंगली उठाई है वो भी तब जबकि वो ना तो मामले में कोई पक्षकार हैं और ना ही वकील। मामला दतिया विधायक एवं सीएम शिवराज सिंह चौहान के प्रिय मंत्री नरोत्तम मिश्रा का है। पेडन्यूज मामले में चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद नरोत्तम मिश्रा को दोषी पाया और चुनाव के अयोग्य मानते हुए 3 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। नरोत्तम मिश्रा पहले ही पेडन्यूज के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुके हैं। मिश्रा की याचिका निरस्त हो चुकी है। 

सामान्यत: ऐसे मामलों में सजायाफ्ता नेता खुद या उनका वकील संसदीय भाषा में केवल इतना कहते हैं कि हम फैसले को सक्षम न्यायालय में चुनौती देंगें परंतु सत्ता की अकड़ में धाकड़ बने नंदकुमार सिंह ने ना केवल आपत्तिजनक टिप्पणी की बल्कि फैसले की अनाधिकृत समीक्षा भी कर डाली। 

नंदकुमार सिंह चौहान ने चुनाव आयोग के निर्णय पर उंगली उठाते हुए कहा है कि चुनाव आयोग का निर्णय दूषित है। नंदकुमार सिंह चौहान ने आगे कहा कि इस फैसले के खिलाफ हम न्यायालय में अपील करवाएंगे। जिन आधार पर चुनाव आयोग ने मिश्रा को अयोग्य घोषित किया है उन आधारों में चुनाव आयोग सभी चीजों को नहीं देख पाया है। चौहान ने आगे कहा कि चुनाव आयोग का अपना नजरिया होता है। चुनाव आयोग का नजरिया कभी-कभी दूषित होता है, यह हमने भिंड के अटेर चुनाव में देखा है। चुनाव आयोग से बड़ा न्यायालय है। इस मामले में हम न्यायालय जाएंगे।

भाजपा सांसद ने स्वागत किया
इधर नंदकुमार सिंह ने ऐलान किया कि पार्टी नरोत्तम मिश्रा के साथ है और उधर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दमोह सांसद प्रहलाद सिंह पटेल ने चुनाव आयोग के फैसले को सही बताया है। प्रहलाद पटेल ने कहा है कि मैं चुनाव आयोग के फैसले का व्यक्तिगत रूप से सम्मान करता हूं। प्रहलाद पटेल ने चुनाव खर्च घटाने की पैरवी भी की है, लेकिन साथ ही उन्होंने निर्वाचन से जुड़े फैसलों में देरी पर भी चिंता जताते हुए कहा है कि चुनाव से जुड़े फैसले समय सीमा के भीतर होना चाहिए, ताकि कोई साधन एवं पद के दुरूपयोग का दुस्साहस न कर सके।

सांसद पटेल ने अपने फेसबुक पर कमेंट करते हुए कहा है कि ‘आज निर्वाचन आयोग ने हमारे एक मंत्री के विरूद्ध फैसला सुनाया है जिसका मैं व्यक्तिगत रूप मे सम्मान करता हूं। मैं चुनाव खर्च घटाने का समर्थक हूं। निर्वाचन से जुड़े फैसले समयसीमा के भीतर ही हो ताकि कोई साधन एवं पद के दुरूपयोग करने का दुस्साहस न कर सके’।

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