BANK लॉकर में रखे सामान का ग्राहक खुद जिम्मेदार है: RBI

नई दिल्ली। यदि किसी सरकारी बैंक के लॉकर में जमा की गईं आपकी कीमती चीजें चोरी हो जाती हैं या फिर कोई हादसा हो जाता है तो इसके बदले में बैंक से किसी कॉम्पेन्सेशन की उम्मीद न करें। भारतीय रिजर्व बैंक और सरकारी क्षेत्र के 19 बैंकों ने आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है। इस खुलासे से हैरान आरटीआई आवेदक अधिवक्ता कुश कालरा ने बैंकों के इस रवैये की शिकायत पारदर्शिता के नियम के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से करने का फैसला लिया है। उनका कहना है कि बैंकों का यह कहना उनकी 'गुटबंदी' और 'गैर-प्रतिस्पर्धिता' को दर्शाता है। 

आरटीआई ऐक्टिविस्ट कालरा ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को बताया कि आरबीआई ने याचिका के जवाब में कहा है कि उसने इस बारे में कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया है। आरबीआई ने बैंकों को इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं किया है कि लॉकर से चोरी या फिर कोई हादसा होने पर ग्राहक को कितनी भरपाई की जाएगी। यही नहीं आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में सभी सरकारी बैंकों ने नुकसान की स्थिति में किसी भी तरह की भरपाई करने से पल्ला झाड़ लिया।

कालरा ने बताया, 'आरटीआई के जवाब में सभी 19 बैंकों ने अजीब तर्क देते हुए कहा कि हमारा रिश्ता ग्राहक से मकान मालिक और किरायेदार जैसा है। इन बैंकों में बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नैशनल बैंक, यूको और कैनरा जैसे बैंक शामिल हैं।' बैंकों का कहना है कि मकान मालिक और किरायेदार जैसे संबंध में ग्राहक लॉकर में रखे गए अपने सामान का खुद जिम्मेदार है, भले ही वह लॉकर बैंकों के मालिकाना हक में है। कुछ बैंकों ने अपने लॉकर हायरिंग अग्रीमेंट में भी स्पष्ट किया है कि लॉकर में रखा गया आइटम कस्टमर के अपने रिस्क पर है।

अधिकतर बैंकों के लॉकर हायरिंग अग्रीमेंट्स के मुताबिक, 'बैंक लॉकर में जमा किसी भी चीज के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यदि चोरी, गृह युद्ध, युद्ध छिड़ने या फिर किसी आपदा की स्थिति में कोई नुकसान होता है तो ग्राहक को ही उसकी जिम्मेदारी उठानी होगी। इसके प्रति बैंक जवाबदेह नहीं होगा।' लॉकर हायरिंग अग्रीमेंट के मुताबिक, 'बैंक अपनी ओर से लॉकर की सुरक्षा के लिए सभी प्रयास करेंगे। लेकिन, किसी भी तरह के नुकसान की स्थिति में बैंक की जवाबदेही नहीं होगी।'

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