नर्मदा परिक्रमा मजाक नहीं है, भाई !

राकेश दुबे@प्रतिदिन। पता नहीं दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के आवेदन पर कांग्रेस में सुनवाई होगी या नहीं, शिवराज अपनी नर्मदा यात्रा के समारोह के छाया चित्रों को आत्ममुग्धता से निहार रहे है और नर्मदा तटवासी नर्मदा में डूबने के कगार पर है। गुजरात ने वृहद सरदार सरोवर बांध के सभी 30 फाटकों को बंद कर दिया है। अगर मानसून मध्यम भी बरसा तो नर्मदा किनारे के वे इलाके डूब ही जायेंगे, जिनमे अभी भी पुनर्वास की आस में लोग रह रहे हैं। गुजरात में जश्न, प्रदेश में मातम और एक नेता आत्ममुग्ध और दूसरे को अनुमति की दरकार।  वाह ! क्या सीन है ?

नर्मदा बचाओ आन्दोलन में मेधा पाटकर के सन्गठन से जुड़े लोगो के अलावा बहुत से ऐसे लोग भी है, जो जिन्हें सच में पुनर्वास की जरूरत है। ऐसे लोग भोपाल की अरेरा हिल पर नर्मदा भवन के चक्कर काटते देखे जा रहे है। इनमे से एक ने बड़ी मार्के की बात कही। “भैया जब जे दफ्तर सेकेण्ड स्टाप पे हतो, तब से चक्कर मार रै हैं। अब दफ्तर इते पहाड़ी पर आ गयो, हमें जमीन दिबावे वारे एक नेता मुख्य मंत्री हो गये, एक जमीन देबे की बात करबे वाले मुख्यमंत्री सडक पे हैं, गुजरात ने दरवज्जे बंद कर लये, अब राम जो करें “। यह किसी एक व्यक्ति की निराशा भरी आह नहीं है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने राजनीतिक कारणों से नर्मदा बचाओ आन्दोलन से जिन लोगों को तोडा था वे कहीं के नहीं रहे।

गुजरात खुश है उसे इन तीनों जल भंडारणों में 14 लाख एकड़ फीट से बढ़ाकर 47 लाख एकड़ फीट पानी इकट्ठा मिलेगा। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल राज्य में मॉनसून बारिश में कमी की संभावना है।  फिर भी इससे गुजरात को फायदा होगा। इससे वहां 9663 गांवों में पीने का पानी पहुंचाया जा सकेगा तथा 10 लाख किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी, जिससे 6 लाख हेक्टेयर खेत की सिंचाई होगी। इसके बाद गुजरात सिंचित भूमि बढ़कर 18 लाख हेक्टेयर हो जाएगी और मध्यप्रदेश में डूब का क्षेत्र और बढ़ेगा। 

आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री नर्मदा यात्रा के चित्र दिखाकर वोट मांगेंगे और अनुमति मिल गई तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी चुनाव के पूर्व नर्मदा का चक्कर काट, शिवराज की नर्मदा यात्रा की बखिया उधेड़ते नजर आयेंगे।

सच मायने में नर्मदा परिक्रमा अकिंचन की भांति की जाती है। तन पर आबरू ढंकने लायक कपड़े, हाथ में भिक्षा पात्र, और मन में राम। नर्मदा परिक्रमा में राजनीति नहीं होती और राजनीति के लिए इसे करने के परिणाम अच्छे नहीं रहे हैं। हाँ!  उम्र के इस पड़ाव पर दिग्विजय सिंह अकिंचन की भांति, जाना चाहे तो उन्हें किसी की अनुमति की जरूरत नही है। कांग्रेस ने वैसे भी ,,,,! राजनीतिक परिक्रमा में विस्थापितों की आहें मिलेंगी, शिवराज की बोई फसल मिलेगी पर वो नहीं मिलेगा जिसके लिए नर्मदा परिक्रमा होती थी और होती है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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