पूरे प्रदेश में बिक रहे हैं घटिया बीज, ब्रांडेड पैक में हैं उपलब्ध, अफसरों से पल्ला झाड़ा

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। यशोदा सीड्स की शिकायत के बाद अब धान के घटिया बीजों की बिक्री का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। किसानों की नुक्सानी का यह प्रमुख कारण हैं। जब बीज ही घटिया होते हैं तो फसल भी अच्छी नहीं आती और कीड़े व मौसम की हल्की सी मार से ही मर जाती है। पर्याप्त नियम कानून होने के बावजूद कृषि विभाग इनका पालन नहीं करा रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि कृषि विभाग के आला अधिकारी भी इस मामले में पल्ला झाड़ रहे हैं। 

प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा के अनुसार अधिनियम व नियमों में किये गये प्रावधान के अनुसार बीज, खाद और कीटनाशकों की जांच से संबधित सभी अधिकार जिले में पदस्थ अधिकारियों को मिले हुये है। नमूना लेने से लेकर लाईसेंस निलम्बित, रद्द करने के अधिकार उपसंचालक को है। अमानक बीज के स्टाक को जप्त भी किया जा सकता है। उन्होने अवगत कराया की ऐसे मामलों की कलेक्टर जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारियों को निरंतर समीक्षा करने के निर्देश भी दिये गये है।

नियम क्या हैं इससे इतर अब यह जानना जरूरी है कि कृषि मंत्रालय कर क्या रहा है। यशोदा सीड्स जैसी कंपनियों का जाल पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। किसान शिकायत नहीं करते। आपत्ति उठाते भी हैं तो उन्हे उन्ही की खेती किसानी में गलती बताकर लौटा दिया जाता है। कहने की जरूरत नहीं कि कृषि विभाग के जिलों में बैठे अधिकारी ही कंपनियों के घटियों बीजों की बिक्री को बढ़ावा देते हैं और उनकी शिकायतों को दबाने का काम भी करते हैं। सवाल यह है कि क्या यह सबकुछ सरकार ऐसे ही चलते रहने देगी और बार बार किसान आंदोलनों का सामना करेगी। यदि किसान की आय दोगुनी करनी है तो कार्रवाई बीज वितरण से ही शुरू करनी होगी। 

क्या होना चाहिए 
जो भी बीज बेचे जाते हैं उनके संबंध में निर्माताओं द्वारा धान बीज की उपलब्धता के संबंध में स्त्रोत प्रमाण पत्र (सोर्श सटिफिकेट) और बीज के संबंध में प्रमाणिकरण प्रमाण पत्र जो कृषि विभाग के विशेषज्ञ द्वारा जारी किया गया, दिया जाना चाहिये तथा जिस दुकान में बीज बेचे जा रहे है उसकी प्रतियां प्रदर्शित की जानी चाहिये। लेकिन बीज विक्रेताओं द्वारा इस प्रकार का कोई प्रमाण पत्र और प्रमाणिकरण की प्रतियां प्रदर्शित नही की जा रहीं हैं। स्थानीय आड़तिए ब्रांडेड कंपनियों के पैक में घटिया बीज भरकर बेच रहे हैं। कुछ कंपनियां भी ऐसा ही कर रहीं हैं। 

बालाघाट स्थित धान आडतिया नितिन असाटी ने इसी तरह सामान्य धान खरीदकर बीज निर्माताओं को बेची है। जिसे जिले में ही बीज निर्माता उसकी पैकिंग कर बीज व्यापारियों के माध्यम से विक्रय कर रहे है। कृषि विभाग का अमला इस कारगुजारी को नंजर अंदाज किये हुये है। प्रदेश के हर जिले में नितिन असाटी जैसे आड़तिए किसानों को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं और कृषि विभाग के अधिकारी कमीशन के कारण आंख बंद किए हुए हैं। 

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