मंत्री की जमानत के लिए जज ने 5 करोड़ लिए, बाकी 5 करोड़ वकीलों ने बांट लिए

लखनऊ। नाबालिग लड़की के रेप मामले में जेल गए यूपी सरकार के मंत्री गायत्री प्रजापति की जमानत के मामले में 10 करोड़ की डील हुई थी। 5 करोड़ रुपए 2 जजों को दिए गए जबकि शेष 5 करोड़ रुपए 3 वकीलों ने आपस में बांट लिए। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के इस मामले का खुलासा इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक जांच में हुआ है। इसी के साथ जजों की पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का मामला भी सामने आया है। 

इंटैलिजेंस ब्यूरो ने गायत्री के केस से जुड़े जज ओपी मिश्रा की पॉक्सो कोर्ट में पोस्टिंग में घूसखोरी की बात कही है। रिपोर्ट के मुताबिक, मिश्रा की ईमानदारी संदेह के घेरे में है और उनकी इमेज भी अच्छी नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, गायत्री को 10 करोड़ रुपए के ऐवज में जमानत दी गई थी। इस रकम में से 5 करोड़ रुपए उन तीन वकीलों को दिए गए जो मामले में मिडिएटर का रोल निभा रहे थे। बाकी के 5 करोड़ रुपए पॉक्सो जज ओपी मिश्रा और उनकी पोस्टिंग संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में करने वाले जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे। 

जांच में सामने आया है कि कैसे बार एसोसिएशन के पदाधिकारी तीन वकीलों ने मिश्रा की पॉक्सो कोर्ट में तैनाती की डील फिक्स कराई। गायत्री को जमानत मिलने के तीन-चार हफ्ते पहले मिश्रा के चैंबर में डिस्ट्र‍िक्ट जज और तीनों वकीलों के बीच कई बार मीटिंग हुई। आखिरी मीटिंग 24 अप्रैल को हुई और इसी दिन प्रजापति ने मिश्रा की कोर्ट में जमानत अर्जी दी थी।

जजों की पोस्ट‍िंग में हाईलेवल करप्शन
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने गायत्री को जमानत मिलने की जांच के आदेश दिए थे। जांच में संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में जजों की पोस्टिंग में हाईलेवल करप्शन की बात सामने आई है। बता दें, इस तरह की कोर्ट रेप और मर्डर जैसे जघन्य अपराधों के मामलों की सुनवाई करती हैं। अपनी रिपोर्ट में जस्टिस भोसले ने कहा कि एडिशनल डिस्ट्र‍िक्ट एंड सेशन जज ओपी मिश्रा को 7 अप्रैल को उनके रिटायरमेंट से ठीक 3 हफ्ते पहले ही पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) जज के रूप में तैनात किया गया था। मिश्रा ने ही गायत्री को 25 अप्रैल को रेप के मामले में जमानत दी थी। मिश्रा का अप्वाइंटमेंट नियमों की अनदेखी करते हुए और अपने काम को बीते एक साल से ठीक तरह से करने वाले जज लक्ष्मी कांत राठौर को हटाकर हुआ था। 18 जुलाई 2016 को पॉक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत की तैनाती की गई थी और वह बेहतरीन काम कर रहे थे।

राजेंद्र सिंह से हुई पूछताछ
डिस्ट्र‍िक्ट जज राजेंद्र सिंह से पूछताछ की जा चुकी है। उनको प्रमोट करके हाईकोर्ट में तैनात किया जाना था, लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनका नाम वापस ले लिया है। आगे का प्रॉसेस पेंडिंग है।

गायत्री की गिरफ्तारी से जमानत तक ऐसे हुई कार्रवाई
17 फरवरी को गायत्री और 6 अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई। विक्टिम महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि एक करीबी ने 3 साल पहले उसकी मुलाकात गायत्री से कराई थी। महिला ने कहा था कि गायत्री ने उसकी कुछ आपत्तिजनक फोटोज लीं और कई बार ब्लैकमेल भी किया। महिला ने आरोप लगाया कि उसके साथ अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 तक गैंगरेप किया गया। जब आरोपियों ने उसकी बेटी से छेड़छाड़ की कोशिश की तो महिला ने अक्टूबर 2016 में डीजीपी को लेटर लिखकर कार्रवाई की मांग की।

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने गायत्री के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया। गायत्री का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया। इसके बाद 15 मार्च को लखनऊ से गायत्री को पुलिस ने गिरफ्तार किया। मामले में 25 अप्रैल को पॉक्सो कोर्ट के जज ओपी मिश्रा ने गायत्री प्रजापति को जमानत दे दी। इसके बाद हाईकोर्ट की एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी ने 28 अप्रैल की रात पॉक्सो कोर्ट के जज ओम प्रकाश मिश्र को उनके रिटायरमेंट (30 अप्रैल) से दो दिन पहले सस्पेंड कर दिया। चीफ जस्टिस ने अपने आदेश में लिखा, "जिस तरह से जानकार जज ने अपराध की गंभीरता को अनदेखा करते हुए आरोपी को जमानत देने में जल्दबाजी दिखाई, उससे हमें इन न्यायाधीश की मंशा पर संदेह है जो खुद 30/4/2017 को रिटायर हो रहे हैं।"

942 करोड़ की है संपत्त‍ि
सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर के मुताबिक, गायत्री प्रजापति 10 साल के करियर में सैकड़ों करोड़ के मालिक हो गए। साल 2002 में वो बीपीएल कार्ड धारक हुआ करते थे, लेकिन अब उनकी संपत्त‍ि 942 करोड़ पहुंच गई है। 2017 के चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 10 करोड़ है, जबकि पिछली बार 1.83 करोड़ की घोषणा की थी। इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में गायत्री अमेठी से लड़े थे और हार गए थे।

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