गुजरात से वाघेला का सोनिया गांधी को अल्टीमेटम, 30 जून को फैसला

नई दिल्ली। गुजरात में चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के बड़े नेता शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस हाईकमान को खुला अल्टीमेटम दे दिया है। वो 30 जून को राहुल गांधी से मिलेंगे और फिर फैसले का ऐलान करेंगे। वाघेला ने खुले शब्दों में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रति उनकी प्रतिबद्धता पूरी हो गई है। भरी सभा में वो कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करने वाले थे परंतु समर्थकों ने उनसे कांग्रेस में रहकर संघर्ष करने की अपील की। उन्होंने कहा कि 30 जून को राहुल गांधी से मुलाकात के बाद फैसला करूंगा। 

गांधी नगर में अपने समर्थकों की सभा को संबोधित करते हुए वाघेला ने अपनी बात को पूरी ताकत और स्पष्टता से रखा। वाघेला ने कहा, '2004 में जब मुझे यूपीए सरकार में मंत्री बनाया गया, तब सोनिया गांधी ने मुझ पर बीजेपी और आरएसएस का बैंकग्राउंड होने के बावजूद भरोसा किया। इसके बदले में मैंने पूरी वफादारी का वादा किया था। हालांकि इस बार जब हाल ही में हम दिल्ली में मिले, तो मैंने उन्हें बता दिया कि मेरी प्रतिबद्धता का समय पूरा हो गया है।

वाघेला ने कहा कि पार्टी में कुछ लोग हैं जो मुझे बाहर करने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं। गांधीनगर के सिविल ऑडिटोरियम में मौजूद समर्थकों को संबोधित करते हुए वाघेला ने कहा, 'मैंने राहुल गांधी से कहा है कि वे लोग जो मुझे पार्टी से बाहर करना चाहते हैं, पूरे शहर में 'बापू फॉर सीएम' के पोस्टर लगा रहे हैं। बहुत हो गया। मैंने अपनी निराशा को बताने के लिए आपको फोन किया था।

यूपी में पार्टी की हार का जिक्र करते हुए वाघेला ने शीर्ष नेतृत्व पर जमकर हमला किया और कहा कि नेतृत्व अपनी गलतियों से सीखना ही नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि हाई कमांड ने कांग्रेस को खत्म करने के लिए बीजेपी से सुपारी ले रखी है। हाई कमांड को सही वक्त पर सही फैसला लेना चाहिए ताकि उम्मीदवार और कार्यकर्ता को चुनाव के लिए तैयारी करने का पूरा समय मिल सके।

वाघेला के संबोधन के बाद उनके सैकड़ों समर्थकों ने उनसे पार्टी और राजनीति न छोड़ने की गुजारिश की। कुछ ने उनसे मजबूती के साथ पार्टी में बने रहने की गुजारिश की, ताकी बीजेपी को गुजरात से उखाड़ फेंका जाए। वाघेला ने कहा कि 30 जून को राहुल गांधी से होने वाली मुलाकात में वह अपनी बात रखेंगे।

'बागी बादशाह' शंकर सिंह वाघेला
बता दें कि 1995 में केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद वाघेला ने इस फैसले पर ऐतराज जताया था। वाघेला तब बीजेपी में थे। कुछ वरिष्ठ नेताओं में वाघेला को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस प्रस्ताव को न तो वाघेला ने स्वीकार किया और न ही केशुभाई पटेल ने। सितंबर 1995 में 47 विधायकों के साथ उन्होंने बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी। इसके बाद एक समझौते के तहत वाघेला के वफादार आदमी सुरेश मेहता को केशुभाई पटेल की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया। मई 1996 के लोकसभा चुनावों में वाघेला अपनी गोधरा सीट हार गए। साजिश का आरोप लगाते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी और अपने समर्थकों को साथ लेकर मेहता सरकार गिरा दी। अक्टूबर 1996 में वाघेला ने राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) बनाई और कांग्रेस के समर्थन से गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए। 1998 में आरजेपी का कांग्रेस में विलय हो गया।

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