भोपाल। मप्र में एक अफसर की पॉलिटिक्स के चलते पूरी सरकार इस कदर उलझी कि विभाग के मूल काम पर ध्यान ही नहीं दिया गया। नतीजा जो नलजल योजनाएं एवं हैंडपंप गर्मी से पहले दुरुस्त कर लिए जाने चाहिए थे वो गर्मी खत्म होने तक भी ठीक नहीं हो पाए। अब तक 2400 नलजल योजनाएं एवं 35 हजार हैंडपंप खराब पड़े हैं। जनता हर रोज पेयजल के लिए मीलों भटक रही है। गांव गांव में पानी की राजनीति और झगड़े चल रहे हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) चार महीने में सिर्फ एक हजार बंद नल-जल योजनाएं चालू कर पाया है। ज्यादातर योजनाएं मोटर खराब होने, बिजली कनेक्शन नहीं मिलने या भूमिगत पाइपलाइन टूटने की वजह से बंद हैं। इनमें से 998 योजनाएं ग्रामीण विकास विभाग को चालू कराना थीं।
राज्य सरकार को जब नल-जल योजनाएं दुरस्त कराकर जनता को पानी देना था, तब विभाग की मंत्री सहित वरिष्ठ अफसर सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता (ईएनसी) जीएस डामोर को संविदा नियुक्ति देने की कोशिशों में लगे थे। निचले स्तर पर भी अफसर डामोर के पक्ष और विपक्ष में खड़े हो गए। इस कारण गांवों की पेयजल समस्या की ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया। समय से ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिला तो उन्होंने भी काम नहीं किया। आखिर गर्मी के तीन महीने (मार्च, अप्रैल, मई) ग्रामीणों ने निजी ट्यूबवेल और कुओं के भरोसे गुजार दिए।
अब विभाग बीते चार महीने में कराए गए कार्यों की समीक्षा कर रहा है। हालांकि ईएनसी केके सोनगरिया भी दोहरे प्रभार में हैं। उनके पास इंदौर के मुख्य अभियंता का भी चार्ज है। वे नियमित रूप से ऑफिस में तो बैठ रहे हैं, लेकिन काम तेजी से नहीं हो रहा है।
35 हजार से ज्यादा हैंडपंप खराब
प्रदेश में 5 लाख 26 हजार 435 हैंडपंप हैं। इनमें से करीब 35 हजार खराब हैं। विभाग ने इन्हें भी ठीक कराने का लक्ष्य रखा था। ज्ञात हो कि ग्रामीण क्षेत्रों में 15 हजार 327 नल-जल योजनाएं हैं, जिनमें से 2400 से ज्यादा बंद हैं।
प्रभार के कारण नहीं हो रहा काम
विभाग में प्रभार प्रथा के कारण काम नहीं हो रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि दो से तीन दफ्तरों के प्रभार में रहने वाले अफसर अक्सर घूमते ही रहते हैं। इस कारण न तो समय से काम शुरू होते हैं और न ही पूरे। विभाग के दोनों प्रमुख पदों पर नियमित अफसर नहीं हैं। शासन ने इंदौर और भोपाल के मुख्य अभियंता को प्रभार दिया है।
वहीं विभाग में कुल पांच मुख्य अभियंताओं में से दो नियमित हैं। तीन अधीक्षण यंत्रियों को अतिरिक्त प्रभार दिया है। हालात ऐसे हैं कि ईएनसी के अलावा जबलपुर मुख्य अभियंता का अतिरिक्त प्रभार रीवा के अधीक्षण यंत्री, ग्वालियर के मुख्य अभियंता का अतिरिक्त प्रभार अधीक्षण यंत्री पन्ना को दिया गया है।