शिवराज से नाराज यशोधरा 2018 का चुनाव नहीं लड़ेंगी ?

उपदेश अवस्थी/भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान से नाराज चल रहीं मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगी या नहीं इसमें संशय की स्थिति बन गई है। दरअसल, यशोधरा राजे ने खुद अपनी शिवपुरी सीट छोड़ने की बात कह दी है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वो केवल शिवपुरी सीट छोड़ने वाली हैं या फिर भाजपा को ही छोड़कर जाने का मन बना चुकीं हैं। बता दें कि यशोधरा राजे सिंधिया व्यक्तिगत तौर पर एक भावुक इंसान हैं। राजमाता की लाड़ली होने के कारण जिद्दी भी हैं और अपना काम सही तरीके से करना पसंद करतीं हैं। शिवराज सिंह की तीसरी पारी में वो अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाईं। एक आईएएस अफसर के कहने पर सीएम शिवराज सिंह ने उनसे उद्योग मंत्रालय छीन लिया जबकि मप्र में विदेशी निवेश के लिए वो काफी बड़े स्तर पर कोशिश कर रहीं थीं। 

हाल ही में शिवपुरी में मीडिया से बात करते हुए यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा है कि 'मैं अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटूंगी, आने वाले विधानसभा चुनाव में डेढ वर्ष का समय है, मैं तब तक अपना सारा काम खत्म करना चाहती हूं, मुझे नहीं पता कि मैं अगला चुनाव शिवपुरी विधानसभा से लडूंगी या नहीं, लेकिन मैं हर हाल में अपना काम समय-सीमा में पूरा करूंगी। कोई भी बाधा डाले, कितनी भी चुनौतियों का सामना करना पड़े, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगी, क्योंकि मुझे अब चुनौतियों का सामना करने की आदत पड़ चुकी है। मुझे अब पीछे नहीं देखना है और प्रोग्रेसिव रहना है। 

तो क्या विधानसभा क्षेत्र बदलने वाली हैं यशोधरा राजे
शिवपुरी विधानसभा खासकर शिवपुरी शहर में पिछले 5 सालों में जो कुछ हुआ वो 50 सालों में नहीं हुआ। इन 5 सालों में जहां सारा देश तरक्की करता रहा वहीं शिवपुरी लगातार पिछड़ता चला गया। पेयजल संकट तो था ही सड़कों की हालत भी इतनी खराब हुई कि पूरी पूरी गाड़ियां गड्डों में समा गईं। ट्रक के पहिए धंस गए, क्रेन बुलाकर निकालना पड़ा। सारा शहर त्राहि त्राहि कर रहा है। स्वभाविक है तमाम परेशानियों के लिए जनता ने विधायक यशोधरा राजे सिंधिया को जिम्मेदार माना। अत: एक डर है कि आने वाले चुनाव में जनता नेगेटिव वोटिंग कर सकती है। सिंधिया परिवार का कोई भी सदस्य आज तक चुनाव नहीं हारा है। शिवपुरी में तो हालात यह रहे ​हैं कि सिंंधिया परिवार के किसी भी सदस्य की एक अपील पर लोगा दागी प्रत्याशी को भी जिता देते थे। संभव है लोगों की नाराजगी के कारण हार का डर उन्हे किसी और सुरक्षित सीट की तलाश के लिए बाध्य कर रहा हो। 

विधानसभा चुनाव लड़ेंगी या नहीं
यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी विधानसभा से राजनीति की शुरूआत की लेकिन भाजपा ने उन्हे ग्वालियर लोकसभा सीट से टिकट दे दिया। वो सांसद रहीं। इसके बाद उन्हे वापस शिवपुरी विधानसभा से टिकट दे दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि 2018 में वो विधानसभा चुनाव लड़ेंगी भी या नहीं। संभव है शिवराज सिंह और नंदकुमार सिंह जैसे नेताओं के साथ तालमेल ना जमने के कारण वो लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हों। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना सीट से सांसद हैं। वो मप्र में सीएम कैंडिडेट के दावेदार भी हैं। यदि हाईकमान ने हरीझंडी दे दी तो सिंधिया परिवार की यह लोकसभा सीट खाली हो जाएगी। दिल्ली में यशोधरा राजे खुद को भोपाल से ज्यादा कंफर्ट पातीं हैं। केंद्र में उनकी पहचान और पकड़ भी अच्छी है। मोदी सरकार में मंत्रीपद आसानी से हासिल हो जाएगा और भोपाल की खिटपिट से मुक्ति भी मिल जाएगी। 

भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर लेंगी
यशोधरा राजे सिंधिया खुद को राजमाता सिंधिया का उत्तराधिकारी मानतीं हैं परंतु जो भाजपा राजमाता सिंधिया का सम्मान करती है वही भाजपा यशोधरा राजे सिंधिया को सामंतवादी बताकर अपमानित भी करती है। यह कई बार हो चुका है। कुछ समय पहले तक सिंधिया परिवार के लोग इसका विरोध नहीं करते थे परंतु पिछले दिनों यशोधरा राजे सिंधिया ने 1857 की क्रांति को लेकर सिंधिया राजवंश पर उठाए गए सवालों का तल्ख विरोध किया। हालात अब भी नहीं बदले हैं। भाजपा अपने पैरों पर खड़ी हो गई है। अब वो राजमाता के चित्र पर माल्यार्पण तो कर सकती है परंतु उनके परिवार को सम्मान देने के लिए तैयार नहीं है। जबकि वर्तमान कांग्रेस में ऐसा कोई मुद्दा नहीं है। वहां श्रीमंत और महाराजों का बोलबाला है। यह भी संभव है कि यशोधरा राजे सिंधिया भाजपा का हमेशा के लिए अलविदा कह दें। 

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