घंटों मां के शव से लिपटा रहा मासूस, चलती TRAIN से गिरी महिला

रमज़ान खान/दमोह। मां से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं। वहीं जीवन देती है और संवारती भी है। मां के बारे में कहा जाता है कि उनका स्नेह और दुलार अनंत होता है। इसीलिए कई किस्से ऐसे भी सुनने को मिलते हैं, जब मां ने अपने प्राण देकर अपने बच्चों की जिंदगी बचा ली। मध्यप्रदेश के दमोह में ऐसी ही एक घटना सामने आई है जब मां चलती ट्रेन से गिर गई और उसने दम तोड़ दिया। मरकर भी उसने अपने मासूम बच्चे की जान बचा ली। यह अबोध बालक नहीं समझ पाया कि उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है। वह तो कई घंटों तक मां के सीने से लिपटा रहा और बार-बार मां का दूध पीता रहा। इस दृश्य ने देखने वालों की भी आंखों में पानी ला दिया था।

रेलवे लाइन पर मलैया फाटक के पास एक महिला अपने मासूम के साथ चलती ट्रेन से नीचे गिर गई। जिसमें मां की मौत हो गई, लेकिन बच्चे को खरोंच तक नहीं आई। मां के साथ गिरा बच्चा रेत पांतों पर लेटी अपनी मां से लिपट गया और दोनों आंचल निकालकर दूध पीता रहा। यह दृश्य देखकर वहां से निकलने वाला हर शख्स थम गया और मरने के बाद भी मां की ममता का करुण दृश्य देख हर किसी की आंखें भीग गई थीं।

यह करुण दृश्य करीब एक घंटे तक चलता रहा जब तक जीआरपी ने अपनी खानापूर्तियां की। बच्चा मां के शव के आंचल से लिपटकर दूध पीता रहा, लेकिन उसे क्या मालूम था कि अब उसकी मां इस दुनिया में नहीं है और उसे दूध भी नसीब नहीं होगा। यह करुण दृश्य देख मलैया फाटक समीप से निकलने वाला हर शख्स थम गया और फिर जब वहां से आगे बढ़ा तो आंखे गीली करके बढ़ा।

वहीं दुर्भाग्य यह देखिए कि जब शव के साथ मासूम बच्चा अस्पताल पहुंचा। तो जिला अस्पताल में भर्ती करने के लिए इस अनाथ से भी ओपीडी की पर्ची के लिए 10 रुपए की मांग की जाती रही, 30 मिनट तक यह स्थिति देख कल्लू तिवारी नामक युवक ने 10 रुपए जमा किए जब जाकर बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभी मां और बच्चे की शिनाख्त नहीं हो पाई है। यदि 24 घंटे के अंदर बच्चे की शिनाख्त नहीं होती है, तो इस बच्चे को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कराया जाएगा जहां से बच्चे को बालाश्रम भेजने की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल बच्चे और उसकी मां के शिनाख्ती के प्रयास किए जा रहे हैं।

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