जब भर्ती विषयमान से नहीं हुई तो युक्तियुक्तकरण क्यों, सर्वर घटिया है तो प्रक्रिया ONLINE क्यों

नीमच। म.प्र.का शिक्षा विभाग संक्रमण काल से गुजर रहा हैं। अपने ही नीति-नियमों के उलझन में फँस कर शिक्षकों/अध्यापकों के लिए युक्तियुक्तणरण के रोज नये आदेश जारी किए जा रहे हैं। म.प्र.तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि पूर्व में भी बड़े साधारण तरीके से स्थानान्तरण के पूर्व शिक्षक/अध्यापकों का युक्तियुक्तकरण जिला स्तर पर निर्विवाद ढंग से काउंसिल के माध्यम से सम्पन्न होता रहा हैं फिर क्यों आन लाइन के नाम पर पूरे प्रदेश के हजारों शिक्षकों/अध्यापकों को भर गर्मी में एमपी आन लाइन की दुकानों के चक्कर काटने को मजबूर किया गया हैं ?  जबकि सर्वर बंद पड़े है या डाउन चल रहे हैं। 

शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में लागू होने के बाद प्रदेश में अंतिम बार वर्ष 2012 में शिक्षा विभाग में भर्ती की गई थी, यह भी विषयमान से नहीं। कितना हास्यास्पद हैं कि मा.वि. में एक शिक्षक/अध्यापक वह भी अतिशेष। आजादी से अब तक इसी व्यवस्था से पीढ़ियों ने शिक्षा ग्रहण की व देश-प्रदेश के विकास में अहम् भूमिका निभाई हैं। विषयवार युक्तियुक्तकरण करना मेंढक तौलने के समान हैं। अब अचानक कौन सा पहाड़ टूट पड़ा जो विषयवार शिक्षकों की जरूरत लगने लगी ? 

भर्ती के समय जो नियम लागू थे उनके अनुसार हायर सेकंडरी/स्नातक/स्नातकोत्तर योग्यता के साथ डीएड/बीएड को प्राथमिकता दी गई थी। कक्षा पहली से आठवीं तक विषयवार भर्ती नहीं की गई। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि कला एवं वाणिज्य संकाय के शिक्षकों/अध्यापकों को सामाजिक विज्ञान के मानने से इसमें बाढ़ सी स्थिति निर्मित हो गई हैं वाणिज्य को गणित में न मानने से गणित विज्ञान का टोटा पड़ता दिखाई दे रहा हैं। अव्यावहारिक तरीके से अतिशेष घोषित करने से इस कार्रवाई से विभाग में हड़कम्प, अफरातफरी,  अराजकता एवं आक्रोश का माहौल निर्मित हो गया हैं। जिससे प्रदेश में आंदोलन व प्रदर्शन होने लगे है। 

आशंका है कि कहीं सरकार को भ्रम में रखकर बदनाम करने की साजिश तो नहीं की जा रही हैं। इसका समाधान सुझाते हुए लक्षकार ने बताया कि अतिशेष वाली शालाओं से यदि कोई स्वेच्छा से हटना चाहता हैं तो उसे प्राथमिकता दी जाए। मान्यता प्राप्त संगठन के पदाधिकारियों को नियमानुसार छूट दी जाए। पुराने स्थानान्तरण के साथ जारी युक्तियुक्तकरण के नियमों के प्रकाश में जिला स्तर पर काउंसिलिंग के माध्यम से प्रक्रिया साधारण तरीके से पूर्ण की जाए। आन लाइन व्यवस्था समाप्त की जाए। विषयमान से यदि करना ही हैं तो माध्यमिक विद्यालयों में प्रत्येक विषय पर एक शिक्षक/अध्यापक होने चाहिए। न्यूनतम तीन के स्थान पर छः होना चाहिए, जो व्यावहारिक भी नहीं हैं व विभाग व सरकार के लिए असंभव हैं।केवल छात्र संख्या के मान से समायोजित किया जाए। 

माननीय मुख्यमंत्री महोदय श्री शिवराजसिंह जी चौहान एवं स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजयशाह, प्रमुख सचिव म.प्र.स्कूल शिक्षा विभाग श्रीमती दीप्ति गौड़ मुखर्जी को पूरी प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से निरस्त कर इसे जिला शिक्षा अधिकारियों /बीईओ/संकुल प्राचार्यों के माध्यम से पूर्ण जवाबदेही से आठ दिनों में संपन्न करवाई जावे। ताकि मामले का सुखद पटाक्षेप होकर नवीन सत्र आनंद के साथ शुरू हो सके। माननीय मुख्यमंत्री जी के आनंद विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धि भी होगी।

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