भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांनकारी देनी ही होगी: MPRSA

भोपाल। प्रदेश सरकार RTI के तहत किसी भी अधिकारी-कर्मचारी के भ्रष्टाचार या अनियमितता की जांच से जुड़े दस्तावेज ये कहकर देने से इंकार नहीं कर सकती कि वो व्यक्तिगत जानकारी का हिस्सा है। राज्य सूचना आयुक्त हीरालाल त्रिवेदी ने ये महत्वपूर्ण फैसला तीन आईएएस अफसरों के मामले में सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए दस्तावेजों की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया, जिसके तहत जानकारी के लोकहित से जुड़े नहीं होने और तीसरे पक्ष से संबंधित बताकर दस्तावेज देने से इंकार किया जा सकता था।

ऐसे तो कोई जानकारी नहीं दी जा सकेगी 
सूचना आयुक्त हीरालाल त्रिवेदी ने आदेश में कहा कि भ्रष्टाचार और मानव अधिकार से जुड़े मुद्दे सरकारी अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ होते रहते हैं। हर प्रकरण में किसी न किसी का नाम जुड़ा होता है, यदि किसी का नाम आने मात्र से वह व्यक्तिगत जानकारी मान ली जाए, तो ऐसी कोई जानकारी नहीं बचेगी, जो दी जा सके। भ्रष्टाचार के मामले को व्यक्तिगत कहकर जानकारी नहीं देना सूचना का अधिकार कानून की मूलभावना के खिलाफ है।

वहीं, दुबे का कहना है कि आईएएस अधिकारियों से जुड़ा मामला होने की वजह से जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही थी। आयोग के फैसले के बाद अब जांच से जुड़े दस्तावेज देने ही पड़ेंगे। उन्होंने इसके लिए शुक्रवार को मुख्य सचिव और सचिव सामान्य प्रशासन 'कार्मिक" के यहां आवेदन लगाकर तीनों अधिकारियों की जांच से जुड़े दस्तावेज देने की मांग की है।

इन अफसरों की मांगी थी जानकारी
बीएम शर्मा- तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ, छिंदवाड़ा। मनरेगा के तहत खरीदी से जुड़े सभी दस्तावेज।
सुखबीर सिंह- तत्कालीन कलेक्टर सीधी। मनरेगा के तहत जेट्रोफा पौधारोपण में अनियमितता।
चंद्रशेखर बोरकर- तत्कालीन सीईओ सीधी। मनरेगा के तहत जेट्रोफा पौधा रोपण में अनियमितता।

ये था सामान्य प्रशासन विभाग का तर्क 
इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने ये कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया था कि इससे लोकहित का समाधान नहीं होता है। जानकारी तीसरे पक्ष से जुड़ी है। फैसले के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के गिरिश रामचंद्र देशपांडे विरुद्ध केंद्रीय सूचना आयुक्त में पारित आदेश को आधार बनाया गया। इसमें कहा गया कि दंड, जांच, अनुशासनात्मक कार्रवाई और शासकीय सेवक व नियोक्ता के बीच सेवा संबंधी मामले व्यक्तिगत सूचना की श्रेणी में आते हैं।

शिकायत और जांच व्यक्तिगत नहीं
आदेश में कहा गया कि सामग्री खरीदना, शासकीय काम करना, उसकी शिकायत और जांच सूचना का अधिकार की धारा 8 (1) में नहीं आता है। इससे जुड़े दस्तावेज किसी अधिकारी-कर्मचारी के व्यक्तिगत नहीं हैं। हाईकोर्ट जबलपुर ने भी सेवा पुस्तिका या व्यक्तिगत नस्ती को ही व्यक्तिगत रिकार्ड माना है। भ्रष्टाचार या अनियमितता जैसी चीज को व्यक्तिगत जानकारी का हिस्सा नहीं माना जा सकता है।

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