MP: कॉलेजों के अतिथि विद्वान को मिलेगी संविदा नियुक्ति, नियमित वेतन

भोपाल। नए शिक्षण सत्र में सरकारी कॉलेजों के लिए चुने जाने वाले अतिथि विद्वानों को संविदा का दर्जा मिल सकता है। उच्च शिक्षा विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती होने तक अतिथि विद्वानों को संविदा पर रखकर प्रतिमाह 25 हजार रुपए वेतन निर्धारित करने की तैयारी कर रहा है। अभी तक अतिथि विद्वानों को प्रति पीरियड के हिसाब से भुगतान किया जाता है। एक अन्य सुविधा के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में अतिथि विद्वानों को अनुभव का लाभ अायु सीमा में दिया जा सकता है। प्रतिवर्ष के मान से दिए जाने वाले अनुभव का लाभ मिलने से अतिथि विद्वान अधिकतम 52 साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए पात्र हाे सकेंगे। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में सत्र 2017-18 के लिए अतिथि विद्वानों की नियुक्ति की कवायद शुरू हो गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने मप्र अतिथि विद्वान महासंघ के प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर सहमति जताई है। 

शासन अतिथि विद्वानों को प्रति पीरियड भुगतान के बजाए प्रतिमाह वेतन निर्धारित करने पर विचार कर रहा है। अतिथि विद्वानों का वेतन प्रतिमाह 25 हजार रुपए तय किया जा सकता है। यही व्यवस्था लाइब्रेरियन और स्पोर्टस अधिकारी के लिए भी है। अभी अतिथि विद्वानों को प्रति पीरियड 275 रुपए और लाइब्रेरियन व स्पोर्ट्स अधिकारी को 580 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलते हैं। एक दिन में तीन पीरियड की ही अनुमति होती है। लेकिन अतिथि विद्वानों का कहना है कि इस व्यवस्था से नुकसान उठाना पड़ता है। अतिथि विद्वानों को कई बार एक दिन एक भी पीरियड नहीं मिलते हैं। पीरियड देना है या नहीं यह प्राचार्य व एचआेडी पर निर्भर करता है। 

52 साल तक आवेदन करने का मिल सकेगा लाभ 
बताया जाता है कि पिछले साल अतिथि विद्वानों के लगातार धरना प्रदर्शन के बाद विभागीय स्तर पर कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी थी। मप्र अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष डाॅ. देवराज सिंह के अनुसार चर्चा के बाद जो सहमति बनी है, उसके तहत मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों के लिए आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षा में प्रति वर्ष के अनुभव के हिसाब से आयु सीमा में छूट का लाभ और 20 प्रतिशत तक अंक देने का प्रावधान किया जा सकता है। अतिथि विद्वानों को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में अधिकतम 52 साल तक आवेदन करने का लाभ देने पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि, अतिथि विद्वान पीएससी के माध्यम से नियमित भर्ती होने तक अधिकतम तीन साल के लिए नियुक्ति की मांग की गई है। 

सेट का रिजल्ट अटका 
उधर, फरवरी-मार्च में असिस्टेंट प्रोफेसर की पात्रता के लिए हुई स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) का रिजल्ट फिलहाल अटक गया है। रिजल्ट अटकने के पीछे यूजीसी द्वारा अभी तक इस रिजल्ट की समीक्षा नहीं कर पाना मुख्य कारण माना जा रहा है। इससे पहले कुछ उम्मीदवारों द्वारा सेट की परीक्षा में कुछ विषयों को शामिल नहीं कर पाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के कारण भी रिजल्ट जारी करने में देरी हुई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार सेट के रिजल्ट के बाद ही असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए भर्ती परीक्षा होनी है। 

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