भोपाल। प्रदेश में इस समय रीवा, इंदौर, सागर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में सरकारी मेडिकल कालेज चल रहे हैं। इन सभी मेडिकल कालेजों की अपनी स्वशासी समिति है। जिसके नियमों के अधीन कालेजों के मेडिकल कालेजों के टीचर्स काम कर रहे हैं। अभी नियम यह है कि इन मेडिकल कालेजों में पदस्थ डाक्टरों का तबादला नहीं किया जा सकता पर प्राधिकरण का गठन होने के बाद तबादले संभव हो सकेंगे। इस संबंध में मंत्रालय में एक उच्चस्तरीय बैठक में प्राधिकरण के एजेन्डे को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसमें सभी मेडिकल कालेजों के डीन की भी राय ली गई है। सरकार अब इसे जल्द कैबिनेट में लाने जा रही है।
नए कॉलेजों की घोषणा के बाद पड़ी जरूरत
प्रदेश के छह मेडिकल कालेजों के अतिरिक्त सरकार ने कुछ समय पहले छिंदवाड़ा,दतिया, शहडोल, शिवपुरी, विदिशा, खंडवा और रतलाम में नए मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा की थी। सरकार इन कालेजों में अकादमिक सत्र 2018 से शुरू करना चाहती है पर उसके सामने दिक्कत यह है कि उसे एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर नहीं मिल रहे हैं। इनकी कमी से इन नए मेडिकल कालेजों को एमआईसी की मान्यता नहीं मिल पाएगी। बीच का रास्ता प्राधिकरण बनाकर निकाला जा रहा है। जिससे पुराने मेडिकल कालेजों के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर्स को नए मेडिकल कालेजों में भेजा जा सके।
1998 का नियम बदलेगा
मेडीकल कालेजों के बेहतर संचालन के लिए तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने 1998 में मेडीकल कालेजों को स्वासाशी का दर्जा प्रदान किया था। देश के एम्स, पीजीआई से लेकर सभी कालेज स्वाशासी दर्जे के तहत ही संचालित हो रहे हैं। सरकार अब इस नियम में बदलाव कर नए नियम लाएगी।
डीन नहीं सहमत
सूत्रों की मानें तो सरकार ने इस संबंध में मेडिकल कालेजों के डीन से राय मांगी थी पर उन्होंने इस व्यवस्था के विरोध में मत दिया है। उनका कहना है कि मेडिकल कालेजों में अभी भी पर्याप्त एसोसियेट प्रोफेसर और प्रोफेसर समेत विशेषज्ञों के पद खाली है अगर इनके लिए तबादले की पालिसी बनाई गई तो हालत और खराब हो जाएगी।
विरोध भी हुआ शुरू
मेडिकल कालेजों में जहां पूरे देश में विकेन्द्रीकरण की बात हो रही है वहीं सरकार केन्द्रीयकृत व्यवस्था लागू करने जा रही है। इससे पुराने मेडिकल कालेजों की व्यवस्थाएं चरमरा जाएगी। कई चिकित्सों की नियुक्ति ही इस आधार पर हुई है कि वे जहां नौकरी करेंगे वहीं से रिटायर होंगे। हम अपना पक्ष सरकार के सामने रख रहे हैं।
डाक्टर राहुल रोकड़े, सचिव मेडिकल एजुकेशन टीचर्स एशोसिएशन इंदौर
प्राधिकरण बनाने पर विचार चल रहा है। इस संबंध में एक बैठक भी हो चुकी है। इस मामले में सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए कोई निर्णय लिया जाएगा।
शरद जैन, राज्यमंत्री चिकित्सा शिक्षा