भोपाल। मध्यप्रदेश शासन ने जनशिकायत निवारण विभाग को समाप्त कर दिया है। यह विभाग भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई करता था। इसी के साथ शिवराज सिंह सरकार ने लोक सेवा प्रबंधन विभाग को इस विभाग की सारी जिम्मेदारियां सौंप दीं हैं। कहा गया है कि दोनों विभाग एक ही तरह का काम कर रहे थे, इसलिए एक विभाग को समाप्त कर दिया गया। सवाल यह है कि एक ही तरह के काम करने के लिए 2 विभाग बनाए ही क्यों गए थे ?
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पिछले सप्ताह जन शिकायत निवारण विभाग को समाप्त करने की अधिसूचना जारी कर दी। साथ ही इसके सभी काम लोक सेवा प्रबंधन विभाग को सौंप दिए। कैबिनेट ने समान काम होने की वजह से पिछले महीने कैबिनेट में जन शिकायत निवारण विभाग को समाप्त करने का निर्णय किया था।
इसके तहत एक पोर्टल samadhan.mp.gov.in का संचालन किया जाता था। यहां लोग आसानी से अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते थे। अब यह काम सीएम हेल्पलाइन पर किया जा सकता है। शिकायत दर्ज कराने के लिए यहां क्लिक करें
अब क्या होगा
मुख्यमंत्री और मंत्रियों को दौरों के दौरान मिलने वाली शिकायतें भी अब लोक सेवा प्रबंधन विभाग को सौंपी जाएंगी। इसके अलावा निम्न काम देखेगा लोक सेवा प्रबंधन विभाग:
सांसद, विधायक और महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मुख्यमंत्री सचिवालय में आने वाले पत्रों का निराकरण।
कमजोर वर्ग से संबंधित व्यक्तियों के शोषण और अत्याचार की शिकायतें।
भूमि विवाद से जुड़ीं शिकायत।
पेंशन और वेतन भुगतान में देरी के मामले।
अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े प्रकरण।
प्रधानमंत्री कार्यालय से मिलने वाली याचिका या शिकायतें।