गंभीर बीमारियों से पीड़ित कर्मचारियों को वक्त से पहले रिटायर करने की तैयारी | EMPLOYEE

देहरादून। शिक्षा विभाग में गंभीर रूप से बीमार और अस्वस्थ शिक्षक-कर्मचारी 'रिटायर' होंगे। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने ऐसे कर्मियों की सूची तैयार करने के आदेश दिए हैं। इस संबंध में तत्काल स्क्रीनिंग कमेटी के गठन के निर्देश भी उन्होंने दिए। उत्तर प्रदेश शासनकाल से लागू अनिवार्य सेवानिवृत्ति नियमावली को अब प्रभावी बनाया जा रहा है। इस नियमावली का लाभ लेने वाले शिक्षकों के सभी वित्तीय भुगतान समय पर होंगे। बता दें कि उत्तरप्रदेश में भी नई सरकार इस नियमावली को प्रभावी बनाने का निर्णय ले चुकी है। अब उत्तराखंड में शिक्षा मंत्रालय ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। 

इस संदर्भ में विभाग ने अपर निदेशक माध्यमिक व प्रारंभिक शिक्षा व समस्त मुख्य शिक्षाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि राज्याधीन सेवाओं में कार्यरत कार्मिकों से कर्मचारी आचरण नियमावली व विभिन्न सेवा नियमावलियों के अधीन दिए गए दायित्वों के निर्वहन की अपेक्षा की जाती है। 

लेकिन ऐसा देखने में आया है कि शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ न होने के कारण कई कर्मचारी-शिक्षक कार्यालय व विद्यालय से लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। या फिर वह उपस्थित होने के बावजूद कार्य करने योग्य नहीं हैं। जिससे उनको दिया गया कार्य तो प्रभावित होता ही है, उक्त पद रिक्त न होने से इसपर किसी अन्य कर्मी की नियुक्ति भी नहीं हो पाती। 
ऐसे कार्मिकों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति की व्यवस्था होने के बावजूद उसपर अमल नहीं किया जा रहा। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ने 15 जून तक ऐसे कार्मिकों की सूचीबनाने के आदेश दिए हैं। 30 जून तक समिति द्वारा चिह्नित कर्मियों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई की जानकारी निदेशालय को देनी होगी। 

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